उत्तराखंड में इस वर्ष लागू हो रहा स्पेशल समरी रिवीज़न (SIR) अभियान अन्य राज्यों की तुलना में अधिक सुगम और व्यवस्थित माना जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने बताया है कि राज्य का भौगोलिक ढांचा, जनसंख्या घनत्व और मतदान केंद्रों की संरचना इस अभियान को क्रियान्वित करने में सहायक साबित हो रही है। यही कारण है कि मतदाता सूची को अद्यतन करने का यह वार्षिक अभियान उत्तराखंड में अपेक्षाकृत आसान और तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है।
चुनाव विभाग के अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड में अधिकांश मतदान क्षेत्र सीमित जनसंख्या वाले हैं, जिसके चलते बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) पर कार्यभार अन्य राज्यों की तुलना में कम पड़ता है। पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में घरों की दूरी भले ही अधिक हो, लेकिन प्रति बूथ कम संख्या में परिवार होने से BLO को निर्धारित लक्ष्य पूरा करने में राहत मिलती है। विभाग का कहना है कि इस बार BLO को दैनिक भ्रमण के दौरान अधिक संगठित तरीके से काम करने का अवसर मिल रहा है।
निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों में BLO के लिए कई सुविधाएँ भी शामिल की गई हैं, जिससे उनकी कार्यप्रणाली और अधिक सरल हो सके। इनमें मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से दस्तावेज़ अपलोड करने, फील्ड विज़िट का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने और मतदाता संशोधन से जुड़े फॉर्म तुरंत सबमिट करने की सुविधा प्रमुख है। अधिकारियों का कहना है कि इन तकनीकी साधनों के उपयोग से फॉर्म की त्रुटियाँ घटेंगी और कार्य की रफ्तार भी बढ़ेगी।
राज्य चुनाव कार्यालय का यह भी कहना है कि उत्तराखंड की आबादी का बड़ा हिस्सा स्थायी निवास वाला है, जिससे पलायन और पते में बदलाव से जुड़ी जटिलताएँ अपेक्षाकृत कम होती हैं। ऐसे में BLO को मतदाता सत्यापन में कम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, जिनमें नागरिकों को सही जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की जा रही है।
अधिकारियों का दावा है कि इन सभी कारणों से विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया उत्तराखंड में पहले से अधिक सहज हो गई है। आयोग को उम्मीद है कि जनता के सहयोग और BLO के सुव्यवस्थित प्रयासों से इस वर्ष की मतदाता सूची न केवल अधिक सटीक होगी, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए पूरी तरह विश्वसनीय आधार प्रदान करेगी।





