देहरादून।
उत्तराखंड में मुकदमों की पैरवी अब डिजिटल रूप से ट्रैक की जाएगी। गृह विभाग ने सभी अदालतों में चल रहे मामलों का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका उद्देश्य यह जानना है कि अभियोजन पक्ष मुकदमों की पैरवी में कितना प्रभावी प्रदर्शन कर रहा है और किन स्तरों पर सुधार की जरूरत है।
अधिकारियों के अनुसार, डिजिटल रिकॉर्ड से यह स्पष्ट होगा कि किस तारीख को मुकदमे में क्या कार्रवाई हुई, सरकारी अधिवक्ताओं को जानकारी समय पर मिली या नहीं, और यदि देरी हुई तो जिम्मेदारी किस स्तर की रही। इस व्यवस्था से न केवल मुकदमों की पैरवी मजबूत होगी, बल्कि सरकारी और जनहित से जुड़े मामलों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
प्रदेश में हाल ही में लागू हुए तीन नए कानूनों — भारत न्याय संहिता, भारत नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम — के अनुरूप यह कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने इन कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के लिए राज्यों को पांच वर्ष का समय और विशेष बजट प्रदान किया है।
राज्य गृह विभाग ने बताया कि मुकदमों के रिकॉर्ड के लिए नए कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और उपकरण खरीदे जा रहे हैं, साथ ही कार्मिकों को डिजिटल फाइलिंग और रिपोर्टिंग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
गृह सचिव शैलेश बगौली ने कहा कि, “तीनों नए कानूनों के क्रियान्वयन की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। संबंधित विभागों को उनकी जरूरत के अनुसार संसाधन और बजट उपलब्ध कराया जा रहा है।”