प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के लिए हल्द्वानी शहर से सटे जीतपुर नेगी गांव से गए 16 लोग वहां मची भगदड़ के बाद फंस गए। दल में शामिल एक अन्य युवक बुधवार तड़के से लापता है, रात तक उनका कुछ पता नहीं चल सका। उनका मोबाइल फोन भी बंद जा रहा है। अन्य लोग किसी तरह भीड़ से निकलकर झूंसी रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर रहे।जीतपुर नेगी के विजेंद्र कुमार, वीरवती, मयंक, प्रियांशु, धरमपाल, भगवती, जयराम सहित 17 लोग हल्द्वानी से मंगलवार को ट्रेन से प्रयागराज रवाना हुए थे। मंगलवार रात 10 बजे वे लोग वहां पहुंच गए। दल में शामिल विजेंद्र ने फोन पर बताया कि वहां से वे लोग सीधे स्नान के लिए संगम की तरफ गए। वहां रात में अचानक भगदड़ गच गई। दल के सभी लोग किसी तरह से वहां से निकलकर आए और झूंसी रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। यहां से दल के एक व्यक्ति प्रेम शंकर मौर्य गायब थे।विजेंद्र ने बताया कि जब उनके फोन पर कॉल की दो बार घंटी गई और उसके बाद मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। विजेंद्र ने बताया कि पिछले 19 घंटे से वे सभी प्रेम शंकर के इंतजार में हैं। उन्होंने बताया कि यहां हर तरफ लोगों का रैला दिख रहा है। किससे पूछे कहां मदद मांगे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। रेल व बस सभी सेवा बंद है। सभी परेशान हैं और मदद की आस लगाए बैठे हैं।मौनी अमावस्या पर प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए हल्द्वानी शहर से ही 70 से ज्यादा बसें श्रद्धालुओं को लेकर रवाना हुईं। इन बसों से 3500 से ज्यादा लोग गए हैं। वहां मची भगदड़ के बाद बुधवार तड़के तीन बजे इन बसों को प्रयागराज से तकरीबन 70 किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया। स्थिति सामान्य होने के बाद इन बसों को धीरे-धीरे रवाना किया गया। बसों के यात्रियों ने बताया कि 70 किलोमीटर का सफर उन लोगों ने 12 से 15 घंटे में तय किया। बुधवार की देर रात आठ बजे तक ये बसें प्रयागराज पहुंचीं और यात्रियों ने अलग-अलग घाटों पर स्नान किया। महाकुंभ में हल्द्वानी से मंगलवार को सबसे ज्यादा बसें गईं। प्राइवेट बस यूनियन के हरित कपूर ने बताया कि कम से कम 70 बसें तो गई ही हैं। संख्या और भी ज्यादा हो सकती। उन्होंने बताया कि एक बस के चालक से उनकी बात हुई है। सभी लोग सुरक्षित हैं और बुधवार रात करीब नौ बजे सभी ने स्नान भी कर लिया। बृहस्पतिवार को सबकी वापसी होनी है।