स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में उत्तराखंड के शहरी निकायों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। राज्य के 107 में से 27 निकायों की राष्ट्रीय रैंकिंग में इस वर्ष सुधार दर्ज किया गया है। खास बात यह रही कि छोटे नगर निकायों – नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों – ने इस बार बड़े शहरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
ऋषिकेश के गंगा घाट बने देश के सबसे स्वच्छ घाट
गंगा किनारे बसे ऋषिकेश को गंगा घाटों की स्वच्छता के लिए देशभर में शीर्ष स्थान मिला है। यह उपलब्धि प्रदेश के लिए गौरव का विषय है और पर्यटन के लिहाज़ से भी बेहद सकारात्मक संकेत देता है।
रैंकिंग में इन निकायों ने मारी बाज़ी:
- 50,000 से 3 लाख आबादी वर्ग:
रुद्रपुर (+349), डोईवाला (+1219), पिथौरागढ़ (+2434), कोटद्वार (+73), ऋषिकेश (+55), रामनगर (+1913) - 20,000 से 50,000 आबादी वर्ग:
मसूरी (+1172), मुनिकीरेती (+627), टिहरी (+1770), लक्सर (+1031), सितारगंज (+2844), टनकपुर (+2869), अल्मोड़ा (+2334), बागेश्वर (+2502), बाजपुर (+2267), नैनीताल (+776) - 20,000 से कम आबादी वर्ग:
लालकुआं (+1697), भीमताल (+2857), भवाली (+2738), चिन्यालीसौड़ (+2651), विकासनगर (+2173), बड़कोट (+2884), गुलरभोज (+1566), नरेंद्रनगर (+809), लोहाघाट (+1967), भिकियासैंण (+1636)
हालांकि, बड़े शहरों जैसे हल्द्वानी, हरिद्वार, काशीपुर और रुड़की का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा।
लालकुआं को राष्ट्रपति पुरस्कार, देहरादून की चमक फीकी
इस बार लालकुआं को “उभरते हुए स्वच्छ शहर” के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। रुद्रपुर और मसूरी ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। वहीं, देहरादून नगर निगम की राष्ट्रीय रैंकिंग में मामूली सुधार (6 अंक) हुआ, लेकिन राज्य रैंकिंग में यह 13वें स्थान पर खिसक गया। मुनिकीरेती की राज्य रैंकिंग भी गिरकर 17वें स्थान पर पहुंच गई।
डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में गिरावट
राज्य का डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण प्रदर्शन गिरा है। पिछले साल 69.76% की तुलना में इस बार यह घटकर 56.6% रह गया है, जो चिंता का विषय है।
कचरा मुक्त शहर श्रेणी में मिला आंशिक सुधार
जहां पिछले वर्ष केवल देहरादून को तीन सितारा रेटिंग मिली थी, वहीं इस बार लालकुआं, रुद्रपुर, डोईवाला और विकासनगर को एक-एक सितारा मिला है। देहरादून इस बार इस श्रेणी में पिछड़ गया।
कैंटोनमेंट बोर्ड की रैंकिंग:
उत्तराखंड के 9 छावनी बोर्डों में लैंसडोन को सर्वोच्च (17वां) स्थान मिला है, जबकि रानीखेत (18वां), रुड़की (22वां), गढ़ी कैंट देहरादून (29वां), अल्मोड़ा कैंट (36वां), क्लेमेंटटाउन (41वां), चकराता (46वां), लंढौर मसूरी (50वां), नैनीताल कैंट (52वां) पर रहे।
निष्कर्ष:
स्वच्छता की दिशा में उत्तराखंड के छोटे शहरों ने बड़ी छलांग लगाई है। यह रुझान बताता है कि अगर स्थानीय निकाय संकल्प लें तो बड़े परिवर्तन संभव हैं। अब ज़रूरत है इस रफ्तार को बनाए रखने और बड़ी नगरीय इकाइयों के प्रदर्शन में भी सुधार लाने की।