Tuesday, December 23, 2025

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उत्तराखंड के चंपावत में स्थापित होगा ‘विश्व सनातन महापीठ’, 100 एकड़ में संवरेगी सनातन संस्कृति की विरासत

चंपावत/देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। प्रदेश के चंपावत जिले में 100 एकड़ की विशाल भूमि पर ‘विश्व सनातन महापीठ’ का निर्माण किया जाएगा। यह महापीठ न केवल सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का केंद्र बनेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को एक नई और विशिष्ट पहचान भी दिलाएगी।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य

  • विशाल परिसर: यह महापीठ 100 एकड़ भूमि पर फैली होगी, जिसमें प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला और आधुनिक सुविधाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।
  • सनातन शिक्षा का केंद्र: यहाँ गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा, जहाँ वेदों, पुराणों और उपनिषदों के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान और दर्शन की शिक्षा दी जाएगी।
  • अनुसंधान और पांडुलिपि संरक्षण: महापीठ में एक अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र और पुस्तकालय स्थापित होगा, जहाँ प्राचीन दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित किया जाएगा।
  • योग और ध्यान: वैश्विक पर्यटकों और साधकों के लिए यहाँ विशाल योग केंद्र और ध्यान कक्ष बनाए जाएंगे।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन के अनुरूप, इस परियोजना से कुमाऊं क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन (Spiritual Tourism) को अभूतपूर्व विस्तार मिलेगा।

  1. स्थानीय रोजगार: महापीठ के निर्माण और संचालन से स्थानीय युवाओं के लिए गाइड, आतिथ्य और हस्तशिल्प के क्षेत्र में हजारों नए अवसर पैदा होंगे।
  2. विश्व मानचित्र पर चंपावत: अभी तक मुख्य पर्यटन केंद्रों से दूर रहे चंपावत को इस परियोजना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
  3. सांस्कृतिक आदान-प्रदान: यहाँ प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर के सम्मेलनों का आयोजन होगा, जिसमें दुनिया भर के विद्वान और धर्मगुरु हिस्सा लेंगे।

क्यों खास है चंपावत का चयन?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंपावत भगवान विष्णु के ‘कूर्मावतार’ की स्थली रही है। यहाँ का शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। सरकार का मानना है कि इस पवित्र भूमि पर महापीठ की स्थापना से पूरे विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश जाएगा।

“विश्व सनातन महापीठ के माध्यम से हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को उनकी जड़ों से जोड़ेंगे। यह केंद्र दुनिया भर के लोगों के लिए भारतीय ज्ञान और अध्यात्म का प्रकाश स्तंभ बनेगा।” — शासकीय प्रवक्ता, उत्तराखंड शासन

अगला कदम

प्रशासन ने भूमि के चिह्नीकरण और हस्तांतरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। जल्द ही इस महापीठ का शिलान्यास किया जाएगा। पर्यावरण मानकों का ध्यान रखते हुए इसे एक ‘ग्रीन प्रोजेक्ट’ के रूप में विकसित करने की योजना है।

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