देहरादून: सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखंड ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के प्रभावी क्रियान्वयन में उत्तराखंड देश के बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए अग्रणी बनकर उभरा है। प्रदेश में अब तक लगभग 23,000 परिवारों के घरों की छतों पर सोलर पैनल स्थापित कर उन्हें बिजली के भारी-भरकम बिलों से पूरी तरह आजाद कर दिया गया है।
बड़े राज्यों को पछाड़ा: उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से आगे निकला उत्तराखंड
आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो उत्तराखंड ने जनसंख्या और संसाधनों में कहीं बड़े राज्यों को कड़ी टक्कर दी है।
- कनेक्शन बनाम क्रियान्वयन: उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आवेदन और कनेक्शन की संख्या अधिक होने के बावजूद, योजना को पूर्ण रूप से जमीन पर उतारने और घरों को ‘जीरो बिल’ की श्रेणी में लाने की रफ्तार उत्तराखंड में कहीं अधिक तेज रही है।
- भौगोलिक चुनौतियों पर जीत: पहाड़ों की विषम परिस्थितियों के बावजूद, उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा के उपयोग में एक मॉडल राज्य के रूप में सामने आया है।
योजना के लाभ और प्रभाव
इस योजना के तहत लाभार्थियों को न केवल मुफ्त बिजली मिल रही है, बल्कि वे अतिरिक्त आय भी सृजित कर रहे हैं।
- शून्य बिजली बिल: सौर ऊर्जा का उत्पादन होने से 300 यूनिट तक की खपत वाले परिवारों का मासिक बिल शून्य हो गया है।
- अतिरिक्त कमाई: ग्रिड से जुड़े होने के कारण, परिवार अपनी जरूरत से ज्यादा पैदा होने वाली बिजली को सरकार को बेचकर मुनाफा भी कमा रहे हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: यह पहल कार्बन उत्सर्जन कम करने और राज्य के हरित ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो रही है।
सरकार की रणनीति और सब्सिडी
उत्तराखंड सरकार और वैकल्पिक ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) ने इस योजना को सफल बनाने के लिए विशेष अभियान चलाए हैं।
- भारी सब्सिडी: केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही आकर्षक सब्सिडी के कारण मध्यमवर्गीय परिवारों का रुझान तेजी से सोलर की ओर बढ़ा है।
- सरल प्रक्रिया: ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन से लेकर स्थापना तक की प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाया गया है।
“उत्तराखंड ने सौर ऊर्जा को अपनाने में जो तत्परता दिखाई है, वह अन्य राज्यों के लिए उदाहरण है। हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में प्रदेश का हर घर अपनी बिजली खुद पैदा करे।” — अक्षय ऊर्जा विभाग, उत्तराखंड





