Tuesday, August 26, 2025

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उत्तरकाशी आपदा: आठ सीमांत गांवों में गहराया रसद और रसोई गैस का संकट, बिजली-संचार सेवा भी ठप

उत्तरकाशी ज़िले के सीमांत क्षेत्र में धराली आपदा के 20 दिन बीत जाने के बाद भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं। खीरगंगा और तेलगाड़ में आई प्रलयकारी बाढ़ ने ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। गंगोत्री हाईवे अभी तक बड़े वाहनों के लिए नहीं खुला है, जिसके चलते आपदा प्रभावित गांवों में रसद और रसोई गैस की समस्या लगातार गहराती जा रही है।

आठ गांवों में ग्रामीणों की मुश्किलें बरकरार

आपदा का सबसे अधिक असर सुक्की, धराली, मुखबा, हर्षिल, जसपुर, पुराली, झाला और बगोरी गांवों पर पड़ा है। इन गांवों में अब भी न तो राहत पर्याप्त मात्रा में पहुंच पा रही है और न ही दैनिक जीवन सामान्य हो पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने सीमित मात्रा में खाद्य सामग्री वितरित की है, लेकिन बड़े परिवारों के लिए यह कई दिनों तक पर्याप्त नहीं है।

हर्षिल के पूर्व प्रधान दिनेश रावत ने बताया कि “हाईवे बंद होने से आठ गांवों में रसोई गैस और आवश्यक वस्तुओं का संकट और गहरा गया है। प्रशासन ने जो राशन वितरित किया है, वह लंबे समय के लिए पर्याप्त नहीं है। हम मांग करते हैं कि जल्द से जल्द हाईवे बड़े वाहनों के लिए खोला जाए ताकि स्थिति सामान्य हो सके।”

बढ़ते जल प्रवाह से दहशत

खीरगंगा और तेलगाड़ का जल प्रवाह अब भी लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। बीते रविवार रात को तेलगाड़ के उफान ने हर्षिल क्षेत्र के ग्रामीणों को भयभीत कर दिया। स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए कई लोग रातोंरात सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए।

बिजली और संचार सेवा ठप

आपदा प्रभावित गांवों में पिछले रविवार रात से ही बिजली आपूर्ति ठप है। ग्रामीण अंधेरे और डर के साये में रातें काटने को मजबूर हैं। वहीं सोमवार सुबह से संचार सेवाएं भी बाधित हो गईं, जिससे प्रभावित क्षेत्र के लोग अपने परिजनों से संपर्क तक नहीं कर पा रहे हैं।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दुल गुसाईं ने बताया कि गंगोत्री हाईवे पर नलूणा के पास भारी भूस्खलन से बिजली और संचार की लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण मरम्मत कार्य में कठिनाई आ रही है। उन्होंने कहा कि जैसे ही भूस्खलन थमेगा, प्रभावित गांवों में बिजली और संचार व्यवस्था बहाल कर दी जाएगी।

स्थिति अभी भी गंभीर

धराली आपदा के लगभग तीन सप्ताह बाद भी आठ गांवों के ग्रामीण कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। न तो जरूरी सामान पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और न ही बिजली व संचार सेवाओं की बहाली हो पाई है। ऐसे में प्रभावित लोग प्रशासन से शीघ्र ठोस कदम उठाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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