नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने स्पष्ट किया है कि वह उचित समय पर भारत यात्रा करेंगे और इसको लेकर दोनों देशों के बीच जमीनी स्तर पर तैयारी चल रही है। उनकी यह टिप्पणी उन अटकलों के बीच आई है, जिनमें कहा जा रहा था कि ओली को अब तक नई दिल्ली से आधिकारिक निमंत्रण नहीं मिला है।
🇳🇵 चौथी बार बने हैं प्रधानमंत्री
ओली ने जुलाई 2024 में चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद परंपरा के अनुसार पहली विदेश यात्रा भारत की जगह चीन की थी, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं।
🤝 भारत पर लगाए गए आरोपों को नकारा
साक्षात्कार में ओली ने साफ कहा:
“जब मैं प्रधानमंत्री बना, भारत ने कोई गलत प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसी बातों में सच्चाई नहीं है कि भारत मुझे पसंद नहीं करता।”
उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल के भारत और चीन दोनों से अच्छे संबंध हैं और ये दोनों ही देश आर्थिक रूप से उभरती महाशक्तियां हैं, जो नेपाल के लिए फायदेमंद साझेदार हैं।
🛕 भगवान राम पर फिर दिया विवादित बयान
ओली ने एक बार फिर दावा किया कि:
“महर्षि वाल्मीकि रचित मूल रामायण के अनुसार भगवान राम का जन्म नेपाली सीमा क्षेत्र में हुआ था। लोगों को इस तथ्य के प्रचार में हिचकिचाना नहीं चाहिए।”
यह पहला मौका नहीं है जब ओली ने ऐसा दावा किया है। इससे पहले भी पांच साल पहले उन्होंने ऐसे ही बयान दिए थे, जिससे उनकी खुद की पार्टी में नाराजगी देखने को मिली थी। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान शिव और महर्षि विश्वामित्र भी नेपाल से हैं।
🔍 निष्कर्ष:
- ओली की भारत यात्रा को लेकर राजनयिक प्रक्रिया जारी है, लेकिन तारीख तय नहीं।
- भारत-नेपाल संबंधों पर आई दरारों को सार्वजनिक रूप से खारिज करने की कोशिश।
- धार्मिक और सांस्कृतिक दावों से ओली देश के भीतर राजनीतिक आधार मजबूत करने की रणनीति अपना रहे हैं।
आने वाले समय में ओली की भारत यात्रा न केवल कूटनीतिक समीकरणों को संतुलित करने, बल्कि जनता और साझेदारी के बीच पारंपरिक संबंधों को दोबारा सुदृढ़ करने का मौका बन सकती है।