केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने सभी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से कहा है कि खुद आडिट करके तीन महीने में डार्क पैटर्न की समस्या का समाधान निकालें। इसका उद्देश्य ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों पर नकेल कसना है। विभिन्न तरीकों से अनावश्यक दबाव बनाकर ग्राहकों के अधिकारों को प्रभावित करना डार्क पैटर्न कहलाता है। सीसीपीए ने पिछले दिनों उबर जैसी कंपनियों को नोटिस जारी किया था, जो त्वरित सेवाओं के नाम पर बतौर टिप अतिरिक्त राशि भुगतान के लिए ग्राहकों पर दबाव बना रही थीं। सीसीपीए ने कहा, ई-कॉमर्स कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफार्म पर उपभोक्ताओं को भ्रम में डालने वाली अनुचित व्यापार प्रथाओं पर वे लगाम लगा रही हैं। डार्क पैटर्न वाली सूचनाओं को खुद पहचान कर प्लेटफार्म से तीन महीने में हटाना होगा। ऑडिट कर यह सुनिश्चित करेंगे कि प्लेटफार्म ऐसे डार्क पैटर्न से मुक्त है। इसके लिए संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा, प्राधिकरण डाक पैटर्न के जारी नियमों के उल्लंघन की निगरानी कर रहा है। इसके लिए संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है। इसमें संबंधित मंत्रालय, स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन एनएलयू के प्रतिनिधि और नियामक शामिल हैं। कार्य समूह को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डार्क पैटर्न के उल्लंघन की पहचान के लिए जांच, इसे रोकने के उपाय करने और तय समय के भीतर विभाग को इसकी जानकारी देने का जिम्मा सौंपा गया है। सीसीपीए को डार्क पैटर्न की रोकथाम व विनियमन को लेकर शिकायतें मिली थीं, जिसमें दिशा-निर्देश का उल्लंघन हो रहा था। इसलिए सभी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म को भ्रामक डिजाइन इंटरफेस का उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई। ई-कॉमर्स कंपनियां कई तरीकों से ग्राहकों को वांछित खरीदारी के लिए प्रेरित करती हैं।