ईरान में समाज सुधारक मसूद पेजेशकियान और कट्टरपंथी सईद जलीली को चुनाव में जीत मिली लेकिन किसी को भी बहुमत नहीं मिली है। जिसके कारण ईरान में अगले हफ्ते 5 जुलाई फिर से राष्ट्रपति का चुनाव होगा। अल जजीरा ने इसकी जानकारी दी है। ईरान के आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक 61 मिलियन से ज्यादा पात्र ईरानियों में से केवल 40 प्रतिशत लोगों ने ही मतदान में भाग लिया। जो कि 1979 के बाद हुए चुनावों में रिकॉर्ड सबसे कम वोटिंग हुई है। मंत्रालय के चुनाव मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक पेजेशकियान ने कुल 24.5 मिलियन मतपत्रों में से 10.41 मिलियन से ज्यादा वोट मिले और पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली से 9.47 मिलियन वोटों से पीछे रहे। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार 1979 की क्रांति के बाद केवल दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव हुआ है। मई में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार को वोट डाले गए। हालांकि जनता में चुनाव को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं देखा गया। बीते चार दशकों में यह ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में सबसे कम मतदान 48.8 प्रतिशत पिछले चुनाव के दौरान हुआ था, जब इब्राहिम रईसी को राष्ट्रपति चुना गया था। मार्च और मई में हुए संसदीय चुनाव में भी महज 41 फीसदी मतदान हुआ। मतदाता उम्मीदवार के नाम और कोड को लिखने के लिए गुप्त मतपत्र का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वे फिर मतपेटी में जमा करते हैं। शुक्रवार को नतीजे आने के बाद अगर किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मतदान नहीं मिलता है तो दो शीर्ष उम्मीदवारों के बीच रन-ऑफ राउंड होता है। इसके बाद राष्ट्रपति का चुनाव होता है मतदाता उम्मीदवार के नाम और कोड को लिखने के लिए गुप्त मतपत्र का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वे फिर मतपेटी में जमा करते हैं। शुक्रवार को नतीजे आने के बाद अगर किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मतदान नहीं मिलता है तो दो शीर्ष उम्मीदवारों के बीच रन-ऑफ राउंड होता है। इसके बाद राष्ट्रपति का चुनाव होता है मतदाता उम्मीदवार के नाम और कोड को लिखने के लिए गुप्त मतपत्र का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वे फिर मतपेटी में जमा करते हैं। शुक्रवार को नतीजे आने के बाद अगर किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक मतदान नहीं मिलता है तो दो शीर्ष उम्मीदवारों के बीच रन-ऑफ राउंड होता है। इसके बाद राष्ट्रपति का चुनाव होता है




