अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका अब ईरान से उसके परमाणु कार्यक्रम पर सीधे वार्ता करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह वार्ता सफल नहीं होती है, तो ईरान को ‘बहुत बड़ा खतरा’ हो सकता है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलकात के बाद ट्रंप ने पत्रकारो से बातचीत में कहा कि यह वार्ता शनिवार से शुरू होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेहरान को परमाणु हथियार नहीं मिलने चाहिए। उन्होंने कहा, हम सीधे उनसे बात कर रहे हैं और शायद एक समझौता हो जाएगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि ‘जाहिर तौर पर एक समझौता करना बेहतर रहेगा बजाय इसके कि कोई और कदम उठाना पड़े।’ ट्रंप से जब पूछा गया कि अगर उनके वार्ताकार ईरान से कोई समझौता नहीं कर पाते हैं, तो क्या वह ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘ईरान को बहुत बड़ा खतरा होगा और मुझे यह कहने में दुख हो रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा,’अगर वार्ता सफल नहीं होती है, तो मुझे लगता है कि ईरान के लिए यह एक बहुत बुरा दिन होगा।’ ट्रंप ने 2018 में पहले कार्यकाल के दौरान ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था। इस समझौते को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार ने 2015 में ईरान के साथ किया था। वहीं, नेतन्याहू ने ट्रंप के इस प्रयास को समर्थन दिया और कहा कि इस्राइल और अमेरिका का साझा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान परमाणु हथियार न बना पाए। नेतन्याहू ने 2003 में लीबिया के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते का उदाहरण देते हुए कहा कि वह ईरान के साथ भी ऐसा ही कोई समझौता चाहते हैं।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वार्ता लगभग उच्चतम स्तर पर होगी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि यह वार्ता कहां होगी और इसके लिए कौन से प्रतिनिधि भेजे जाएंगे। इस वार्ता की घोषणा तब की गई जब नेतन्याहू एक आपात दौरे पर व्हाइट हाउस पहुंचे, जो पिछले दो महीनों में उनका दूसरा दौरा था। इस दौरान दोनों नेताओं ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम, इस्राइल-हामास युद्ध और दुनिया भर में अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ पर चर्चा की।