श्रीहरिकोटा/ब्यूरो: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर दुनिया को अपनी तकनीकी ताकत दिखाने जा रहा है। इसरो और निजी भागीदारों के सहयोग से ‘ब्लूबर्ड-2’ (BlueBird-2) सैटेलाइट को लॉन्च करने की योजना बनाई गई है। इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सीधे आपके स्मार्टफोन को अंतरिक्ष से जोड़ देगा, जिससे मोबाइल टावर की निर्भरता खत्म हो जाएगी।
डेड जोन में भी मिलेगा फुल नेटवर्क
ब्लूबर्ड-2 सैटेलाइट तकनीक के जरिए अब उन दुर्गम क्षेत्रों में भी मोबाइल कनेक्टिविटी संभव होगी जहां मोबाइल टावर लगाना असंभव है। हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर घने जंगलों और समुद्री इलाकों तक, स्मार्टफोन में सीधे सैटेलाइट के माध्यम से सिग्नल पहुंचेंगे। इसे ‘डायरेक्ट-टू-सेल’ तकनीक कहा जा रहा है, जो आपातकालीन स्थितियों में जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
ब्लूबर्ड-2 सैटेलाइट की खास बातें
- विशाल एंटीना सिस्टम: इस सैटेलाइट में बेहद उन्नत और बड़े आकार के एंटीना लगे हैं, जो अंतरिक्ष से सीधे जमीन पर मौजूद सामान्य स्मार्टफोन्स के साथ संचार करने में सक्षम हैं।
- बिना किसी मॉडिफिकेशन के काम: खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए यूजर्स को अपने फोन में किसी भी तरह के हार्डवेयर बदलाव या विशेष एंटीना की जरूरत नहीं होगी।
- हाई-स्पीड डेटा: यह सैटेलाइट न केवल वॉयस कॉल बल्कि हाई-स्पीड इंटरनेट और मैसेजिंग की सुविधा भी प्रदान करने की क्षमता रखता है।
आपदा प्रबंधन में गेमचेंजर साबित होगी तकनीक
अक्सर भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जमीन पर मौजूद मोबाइल टावर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे संचार पूरी तरह ठप हो जाता है। ब्लूबर्ड-2 ऐसी स्थितियों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। चूंकि इसका कनेक्शन सीधे अंतरिक्ष से होगा, इसलिए आपदा के समय भी राहत और बचाव दल एक-दूसरे से संपर्क बनाए रख सकेंगे।
वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा इसरो का कद
इस लॉन्चिंग के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास डायरेक्ट-टू-सेल सैटेलाइट तकनीक है। इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा, बल्कि भविष्य में वैश्विक संचार बाजार में भारत की हिस्सेदारी को भी बढ़ाएगा।





