पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर बड़ा मोड़ देखने को मिला है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों के लगातार बढ़ते दबाव और विरोध प्रदर्शनों के बाद शहबाज शरीफ सरकार को नरमी दिखानी पड़ी है। सरकार ने इमरान खान की बहन को जेल में उनसे मुलाकात की अनुमति दे दी है, जो पिछले कई दिनों से लंबित मांग थी।
यह मामला तब गरमाया जब इमरान खान के समर्थक संगठन मुलाकात पर लगी रोक को अलोकतांत्रिक बताते हुए सड़कों पर उतर आए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक प्रतिशोध में खान परिवार को परेशान कर रही है और परिवार के सदस्यों को मुलाकात का बुनियादी अधिकार भी नहीं दिया जा रहा। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं, जिसने सरकार पर अतिरिक्त दबाव डाला।
स्थिति को नियंत्रित करने और राजनीतिक तनाव को कम करने के प्रयास में शहबाज सरकार ने अंततः इमरान खान की बहन के लिए मुलाकात की अनुमति जारी कर दी। सरकार ने साफ किया कि यह फैसला जेल प्रशासन की अनुशंसा और सुरक्षा समीक्षा के बाद लिया गया है। हालांकि, विपक्ष इसे इमरान समर्थकों की जीत के रूप में देख रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, मुलाकात के दौरान विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी और समय तथा संख्या को लेकर भी कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। प्रशासन का कहना है कि मुलाकात को लेकर सभी दिशा-निर्देश जेल मैनुअल के अनुरूप होंगे और किसी भी तरह की विशेष रियायत नहीं दी जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल की घटनाओं ने पाकिस्तान के भीतर सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को फिर से उजागर कर दिया है। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही उनके समर्थक सरकार पर निशाना साधते रहे हैं और मुलाकात की अनुमति को लेकर विवाद ने आग में घी डालने का काम किया।
मुलाकात की इजाजत मिलने के बाद इमरान समर्थक इसे अपनी नैतिक जीत बता रहे हैं, जबकि सरकार इसे एक प्रशासनिक निर्णय कहकर राजनीतिक रंग देने से बच रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा पाकिस्तान की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।





