यरूशलम/रामल्लाह: मध्य-पूर्व में जारी तनाव के बीच इजरायल सरकार ने एक विवादस्पद और बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट ने वेस्ट बैंक के कब्जे वाले क्षेत्रों में 19 नई यहूदी बस्तियों के निर्माण को आधिकारिक मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध के स्वर तेज होने और फिलिस्तीन के साथ संघर्ष और गहराने की आशंका जताई जा रही है।
कैबिनेट बैठक में लिया गया कड़ा निर्णय
इजरायली कैबिनेट की उच्च स्तरीय बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई।
- बस्तियों का विस्तार: योजना के तहत हजारों नए आवास इकाइयों का निर्माण किया जाएगा, जिससे वेस्ट बैंक में इजरायली आबादी में भारी वृद्धि होगी।
- रणनीतिक स्थान: ये बस्तियां उन क्षेत्रों में स्थापित की जा रही हैं जिन्हें इजरायल अपनी सुरक्षा और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानता है।
- दक्षिणपंथी दबाव: माना जा रहा है कि सरकार में शामिल कट्टरपंथी दक्षिणपंथी दलों के दबाव के चलते यह फैसला लिया गया है, जो लंबे समय से वेस्ट बैंक के पूर्ण विलय की वकालत कर रहे हैं।
क्या है विवाद का मुख्य कारण?
वेस्ट बैंक का मुद्दा इजरायल और फिलिस्तीन विवाद की जड़ रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून: संयुक्त राष्ट्र और अधिकांश देश वेस्ट बैंक में इजरायली बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध मानते हैं।
- दो-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution): फिलिस्तीन इन बस्तियों को अपने भविष्य के स्वतंत्र राष्ट्र की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मानता है। उसका कहना है कि बस्तियों के विस्तार से उसकी जमीन का अस्तित्व खत्म हो रहा है।
- स्थानीय संघर्ष: नई बस्तियों के बसने से स्थानीय फिलिस्तीनी निवासियों और यहूदी बसने वालों के बीच हिंसा की घटनाएं बढ़ने का खतरा रहता है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और विरोध
इजरायल के इस फैसले पर वैश्विक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
- फिलिस्तीन का रुख: फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) ने इसे “शांति प्रक्रिया के ताबूत में आखिरी कील” करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ: पारंपरिक रूप से अमेरिका बस्तियों के विस्तार का विरोध करता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से वाशिंगटन और यरूशलम के रिश्तों में तनाव आ सकता है।
- संयुक्त राष्ट्र: UN ने चेतावनी दी है कि बस्तियों का निर्माण क्षेत्र में स्थिरता और स्थायी शांति की संभावनाओं को पूरी तरह नष्ट कर देगा।
इजरायल का तर्क
इजरायल सरकार का कहना है कि ये बस्तियां यहूदी लोगों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकार का हिस्सा हैं। सरकार के प्रवक्ताओं के अनुसार, बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने और सुरक्षा घेरे को मजबूत करने के लिए यह निर्माण अनिवार्य है।
“यह हमारी अपनी भूमि है और हमें यहाँ निर्माण करने का पूरा अधिकार है। ये बस्तियां इजरायल की सुरक्षा के लिए दीवार का काम करेंगी।” — इजरायली कैबिनेट मंत्री





