उत्तराखंड ने जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इज़राइल की तकनीक और विशेषज्ञता के सहयोग से राज्य सरकार ने सीवेज के पुन: उपयोग और जल प्रबंधन का नया मॉडल अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस पहल के तहत राज्य में लगभग 90 प्रतिशत सीवेज के पानी का पुन: उपयोग संभव हो सकेगा, जिससे पीने के पानी और कृषि सिंचाई की समस्या में सुधार होगा।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि इज़राइल के अनुभव को देखते हुए यह तकनीक शहरों और कस्बों में उत्पन्न होने वाले सीवेज को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से पुनर्चक्रित करने की अनुमति देती है। पुनर्नवीनीकरण पानी का उपयोग न केवल कृषि, बागवानी और हरित क्षेत्रों में किया जाएगा, बल्कि इसे औद्योगिक जरूरतों और आपातकालीन जल आपूर्ति के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक से न केवल जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि पर्यावरण पर भी दबाव घटेगा। राज्य में बढ़ती आबादी और जल स्रोतों पर बढ़ते दबाव को ध्यान में रखते हुए यह पहल स्थायी जल प्रबंधन और स्वच्छता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इज़राइल की यह तकनीक उत्तराखंड में जल सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों को मजबूत करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत करेगा और जल संकट के समाधान में नई दिशा और प्रेरणा देगा।
राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए हैं ताकि स्थानीय अधिकारी और तकनीशियन नई तकनीक का सही ढंग से संचालन कर सकें। इस पहल से राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन क्षमता में सुधार की उम्मीद है, और आने वाले समय में यह उत्तराखंड को जल सुरक्षा के मामले में अग्रणी राज्य बनाने में मदद करेगा।





