अमेरिका में प्रवासियों के खिलाफ एक बार फिर छापेमारी अभियान तेज होने के बीच न्यूयॉर्क के विधायक जोहरान ममदानी का बयान सुर्खियों में है। ममदानी ने प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) एजेंटों के हर आदेश का पालन करना अनिवार्य नहीं है और उनके पास अपने अधिकारों की रक्षा करने का पूरा हक है। इस बयान ने प्रवासियों में हिम्मत बढ़ाने के साथ-साथ राजनीतिक बहस को भी नई दिशा दे दी है।
ममदानी ने कहा कि ICE की छापेमारी के दौरान प्रवासियों को यह जानना आवश्यक है कि वे अपने घरों में बिना वॉरंट के किसी को प्रवेश की अनुमति देने के लिए बाध्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एजेंटों द्वारा दिए जाने वाले मौखिक आदेशों को मानना प्रवासियों के लिए अनिवार्य नहीं है, जब तक कि एजेंटों के पास न्यायालय द्वारा जारी उचित दस्तावेज न हों।
अपने संबोधन में ममदानी ने प्रवासियों को सलाह दी कि वे किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करते समय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और भयभीत न हों। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को कानूनी सलाह लेने, अपने परिवार या समुदाय संगठनों से संपर्क करने और आवश्यक दस्तावेज सुरक्षित रखने जैसे कदम उठाने चाहिए।
हालांकि, उनके इस बयान ने राजनीतिक परिदृश्य में विवाद भी खड़ा कर दिया है। आलोचकों का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के काम में बाधा पैदा कर सकती है। वहीं समर्थकों का तर्क है कि ममदानी सिर्फ उन लोगों को उनके मूलभूत अधिकार याद दिला रहे हैं जो अक्सर डर और भ्रम का शिकार हो जाते हैं।
ICE की गतिविधियां बढ़ने के साथ कई प्रवासी समुदायों में भय का माहौल है, लेकिन ममदानी जैसे जनप्रतिनिधियों के बयानों से उनमें साहस की भावना भी देखी जा रही है। फिलहाल, प्रवासी समुदाय और नागरिक अधिकार संगठनों ने यह मांग उठाई है कि छापेमारी की प्रक्रिया को मानवीय और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि अनावश्यक डर और असुरक्षा की स्थिति न पैदा हो।





