Sunday, December 21, 2025

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आदित्य-एल1 ने सुलझाई 2024 के शक्तिशाली सौर तूफान की पहेली

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन आदित्य-एल1 ने वर्ष 2024 में आए शक्तिशाली सौर तूफान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहेली को सुलझा दिया है। इसरो ने बताया कि उस समय सूर्य से उठने वाली विकिरणीय गतिविधि का व्यवहार बिल्कुल सामान्य पैटर्न से अलग था, जिसके कारण वैज्ञानिक समुदाय में कई सवाल उठे थे। अब आदित्य-एल1 द्वारा भेजे गए उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सौर तूफान की तीव्रता और दिशा में आए अचानक बदलाव किस वजह से हुए थे।

इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, मई 2024 में सूर्य की सतह पर दर्ज की गई उथल-पुथल एक असामान्य चुंबकीय पुनर्संयोजन प्रक्रिया का परिणाम थी। सामान्य परिस्थितियों में सूर्य के ध्रुवीय और विषुवतीय क्षेत्रों में बनने वाले चुंबकीय क्षेत्र पूर्वानुमान योग्य पैटर्न का पालन करते हैं, लेकिन इस सौर तूफान के दौरान चुंबकीय संरचना अप्रत्याशित रूप से टूटकर दो दिशाओं में फैल गई। आदित्य-एल1 के उपकरणों ने इस बदलाव को बेहद सटीकता से रिकॉर्ड किया।

मिशन के हेलियोफ़िज़िक्स उपकरणों ने यह भी दर्शाया कि सौर कोरोना में अचानक तापमान वृद्धि और प्लाज़्मा के तीव्र विस्तार ने तूफान को सामान्य से कहीं अधिक शक्तिशाली बना दिया था। इसरो के अनुसार, यही वजह थी कि पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में उपग्रहों और संचार प्रणालियों पर प्रभाव अपेक्षा से अधिक देखा गया। डेटा से यह भी पता चला कि आवेशित कणों का प्रवाह असमान रूप से बढ़ा, जिसने भू-चुंबकीय क्षेत्र को अस्थिर कर दिया।

विशेषज्ञों ने बताया कि आदित्य-एल1 मिशन की स्थिति—सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित लैग्रेंज बिंदु 1 (L1)—ने इन गतिविधियों को लगातार और बिना व्यवधान के रिकॉर्ड करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि यह मिशन सक्रिय न होता, तो 2024 के सौर तूफान का सटीक वैज्ञानिक विश्लेषण संभव नहीं हो पाता।

इसरो ने अपने बयान में कहा कि इस खोज से भविष्य में सौर तूफानों की पूर्व चेतावनी प्रणाली को और ज्यादा सक्षम बनाया जा सकेगा। ऐसे डेटा से वैज्ञानिक समझ पाएंगे कि कब और कैसे सूर्य की सतह पर होने वाली विस्फोटक गतिविधियाँ पृथ्वी पर प्रभाव डालती हैं।

वैज्ञानिक समुदाय ने आदित्य-एल1 की इस उपलब्धि को भारत की अंतरिक्ष विज्ञान क्षमता के लिए एक बड़ा कदम बताया है। इस मिशन ने न केवल सूर्य के व्यवहार के बारे में नई जानकारी उपलब्ध कराई, बल्कि वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान को भी एक नई दिशा दी है।

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