नई दिल्ली: आतंकवाद के बदलते स्वरूप और उभरते खतरों से निपटने के लिए भारत एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर नेतृत्व करने जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज से दो दिवसीय ‘आतंकवाद विरोधी सम्मेलन’ (Anti-Terrorism Conference) का आयोजन शुरू होने जा रहा है। देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में देश की सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी हिस्सा लेंगे।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य और एजेंडा
इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद के विरुद्ध भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ (शून्य सहनशीलता) की नीति को और अधिक सशक्त बनाना है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन में मुख्य रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Funding), कट्टरपंथ के प्रसार और साइबर क्षेत्र के माध्यम से उभरने वाली चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह अपने उद्घाटन भाषण में आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए एकजुट कार्रवाई का आह्वान कर सकते हैं।
उभरते खतरों पर विशेष फोकस
सम्मेलन के दौरान सुरक्षा विशेषज्ञ आधुनिक तकनीकों के दुरुपयोग पर विचार-विमर्श करेंगे। निम्नलिखित विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे:
- ड्रोन तकनीक का मुकाबला: सीमा पार से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन के बढ़ते उपयोग को रोकने की रणनीति।
- क्रिप्टोकरेंसी और डार्कनेट: आतंकवादियों द्वारा फंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जा रहे आधुनिक डिजिटल टूल्स की निगरानी और रोकथाम।
- सोशल मीडिया और रेडिकलाइजेशन: युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने वाले ऑनलाइन दुष्प्रचार को विफल करने की योजना।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
इस सम्मेलन में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), खुफिया ब्यूरो (IB), और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों के पुलिस महानिदेशक (DGP) भी हिस्सा लेंगे ताकि आतंकवाद के विरुद्ध केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके। भारत इस मंच का उपयोग मित्र देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को और मजबूत करने के लिए भी करेगा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
सम्मेलन के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। आयोजन स्थल के आसपास भारी पुलिस बल और सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की गई है। अधिकारियों का मानना है कि इस सम्मेलन से निकले निष्कर्ष भविष्य में भारत की आंतरिक सुरक्षा नीति और आतंकवाद विरोधी कानूनों को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया भर में नई तरह की सुरक्षा चुनौतियां उभर रही हैं, जिससे भारत का यह कदम अत्यंत सामयिक और महत्वपूर्ण माना जा रहा है।





