जयशंकर ने कहा, ‘मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं, एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन। सोचिए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के एक सैन्य कस्बे में उसकी सैन्य अकादमी के ठीक बगल में वर्षों तक खुद को महसूस करता रहा?’ पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने के बाद जयशंकर यूरोप के दौरे पर हैं। उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिन तक चले संघर्ष के बारे में पूछा गया था। जयशंकर ने कहा, ‘मैं आपको कुछ याद दिलाना चाहता हूं, एक व्यक्ति था ओसामा बिन लादेन। सोचिए, वह आखिर क्यों पाकिस्तान के एक सैन्य कस्बे में उसकी सैन्य अकादमी के ठीक बगल में वर्षों तक खुद को महसूस करता रहा?’ पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के एक महीने के बाद जयशंकर यूरोप के दौरे पर हैं। उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिन तक चले संघर्ष के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि दुनिया यह समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है। यह आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है और वहीं आतंकवाद एख दिन आप लोगों (पश्चिमी देशों) के लिए भी समस्या बन जाएगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को केवल दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों की प्रतिक्रिया के रूप में दिखाया, जबकि यह असल में आतंकवाद के खिलाफ एक कार्रवाई थी।
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 लोगों की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। इस हमले के जवाब में भारत ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। यह सैन्य संघर्ष चार दिन तक चला था। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
जब जयशंकर से पूछा गया कि भारत रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल क्यों नहीं हुआ, तो उन्होंने कहा कि भारत युद्ध को किसी समस्या का हल नहीं मानता। उन्होंने कहा, हम नहीं मानते कि युद्ध के जरिए मतभेदों को सुलझाया जा सकता है। हमें नहीं लगता कि समाधान जंग के मैदान से आएगा। यह हमारा काम नहीं है कि हम किसी समाधान को थोपें। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम न तो किसी पर अपनी राय थोप रहे हैं, न ही किसी की निंदा कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम पूरी तरह अलग-थलग हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत संबंध हैं। यह सिर्फ रूस तक सीमित नहीं हैं। लेकिन हर देश अपने अनुभव, इतिहास और हितों के आधार पर निर्णय करता है। उन्होंने आगे कहा, भारत की सबसे पुरानी शिकायत यही रही है कि हमारी सीमाओं का उल्लंघन (देश की) आजादी के कुछ ही महीनों बाद हुआ, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ करवाई और उस वक्त जो देश सबसे ज्यादा पाकिस्तान के साथ थे, वे पश्चिमी देश थे।