चमोली। विश्वप्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की प्रक्रिया आज से विधिवत रूप से शुरू हो गई है। भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन यात्रा और देव प्रतिमाओं के गद्दीस्थल की ओर प्रस्थान से पूर्व पारंपरिक पंच पूजाएं संपन्न की जा रही हैं। इसी के साथ बदरीनाथ धाम में शीतकालीन यात्राओं का क्रम भी शुरू हो गया है।
मंदिर समिति के अनुसार, कपाट बंद करने की सभी रस्में शास्त्रों के अनुसार चरणबद्ध तरीके से की जाती हैं। इस क्रम में देवी-देवताओं का आगमन, मंदिर की सेज सज्जा तथा विशेष पूजा-अर्चना शामिल है। आज से आरंभ हुई पूजा-विधि में भगवान कुबेर और उधवजी से जुड़ी परंपरागत क्रियाएं की जा रही हैं।
बताया गया कि कपाट बंद होने के अंतिम दिन भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को अलकनंदा किनारे स्थित पांडुकेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल योगध्यान बदरी मंदिर ले जाया जाएगा। वहां पूरे सर्दी के दौरान नित्य पूजा और दर्शन की व्यवस्था रहती है, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था बनी रहे।
हर वर्ष की तरह इस बार भी कपाट बंद होने से पूर्व धाम को पुष्प और रौशनी से भव्य रूप दिया गया है। धाम में देश-विदेश से पहुंचे तीर्थयात्रियों की मौजूदगी में भक्तिरस का वातावरण बना हुआ है। तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरी विशाल के दर्शनों का विशेष अवसर प्राप्त कर स्वयं को सौभाग्यशाली बताया।
बढ़ती ठंड और हिमपात की संभावनाओं को देखते हुए उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ मंदिर सर्दियों में बंद कर दिया जाता है। कपाट बंद होने के बाद भी श्रद्धालु पांडुकेश्वर में शीतकालीन पूजाओं के माध्यम से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।





