विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार की दुनिया में सांस्कृतिक पुनर्संतुलन के महत्व को रेखांकित किया। वह पुराना किला में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसी की अपनी विरासत, संस्कृति और विश्वास को पेश करना पारंपरिक राजनीति की तरह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि पारंपरिक राजनीति में। विदेशमंत्री ने कहा, ‘आज लड़ाई संस्कृति के पुनर्संतुलन की है। हम दुनिया की संपूर्ण विविधता को कैसे पहचानें, हम उस युग की विकृतियों को कैसे दूर करें जिसे कुछ देशों और कुछ क्षेत्रों ने विकृत कर दिया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यही कारण है कि आज अपनी विरासत, अपनी संस्कृति, अपनी जीवन शैली, अपनी आस्था, अपने विश्वास को सामने रखना महत्वपूर्ण है और मेरे लिए कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यह उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि पारंपरिक राजनीति।’ एस जयशंकर ने आगे समझाया, ‘ऐसा कोई भी (महाकाव्य) नहीं है जो वास्तव में न केवल जटिलता और सूक्ष्मता के मामले में महाभारत से तुलना करता हो, लेकिन वास्तव में दुनिया को, उसकी चुनौतियों को और उसके अवसरों को देखना आज भी कितना प्रासंगिक है।’ इस कार्यक्रम में सरकार के ‘अडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0’ के तहत पांच साल के लिए चार ऐतिहासिक स्मारकों – पुराना किला, हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग मकबरा और महरौली पुरातत्व पार्क – के लिए गैर सरकारी संगठन या एनजीओ सभ्या फाउंडेशन को ‘स्मारक सारथी’ घोषित किया गया।