गुवाहाटी। असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर दिए गए अपने विवादित बयान पर सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व योजना आयोग सदस्य सैयदा हमीद ने यू-टर्न ले लिया है। राजनीतिक हलकों में मचे बवाल और तीखी आलोचनाओं के बाद उन्होंने अब कहा है कि देश में जो भी लोग अवैध तरीके से घुसे हैं, उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए।
मंगलवार को एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि असम का उनका अनुभव हमेशा सकारात्मक और आत्मीय रहा है। “1997 से महिला आयोग और योजना आयोग का हिस्सा रहते हुए मैं असम के विभिन्न हिस्सों में गई हूं, लेकिन कभी यह महसूस नहीं हुआ कि मैं एक मुसलमान और महिला हूं। असम मेरे लिए हमेशा अपनापन देने वाला रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि यदि कुछ बांग्लादेशी यहां आ भी गए हैं तो उनसे संवाद कर उन्हें शांति से वापस भेजा जाना चाहिए।
विवाद से उपजा राजनीतिक भूचाल
दरअसल, बीते दिनों असम दौरे के दौरान सैयदा हमीद ने प्रतिनिधिमंडल के साथ मीडिया से बातचीत में कहा था, “बांग्लादेशी भी इंसान हैं। धरती बहुत बड़ी है, वे यहां रह सकते हैं। अल्लाह ने यह धरती इंसानों के लिए बनाई है, शैतान के लिए नहीं।” उनके इस बयान के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस पर कड़ा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों से असम की पहचान खतरे में पड़ जाती है। सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरमा ने लिखा, “गांधी परिवार की करीबी सैयदा हमीद जैसे लोग अवैध घुसपैठियों को वैध ठहराते हैं। इनके मौन समर्थन के कारण असमिया संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है। लेकिन हम लाचित बरफुकन की संतान हैं, और अपनी भूमि व पहचान की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। असम किसी भी अवैध घुसपैठिए का स्वागत नहीं करेगा।”
किस प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई थी विवादित टिप्पणी
सैयदा हमीद हाल ही में असम के उन इलाकों के दौरे पर गई थीं जिन्हें सरकार ने बेदखली अभियान के तहत खाली कराया है। इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, फैयाज शाहीन और पूर्व सांसद जवाहर सरकार भी शामिल थे। दौरे के दौरान ही उन्होंने मीडिया से विवादित टिप्पणी की थी और असम सरकार पर बेदखली अभियानों में अल्पसंख्यकों के साथ अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया था।
अब जबकि सैयदा हमीद ने अपने बयान को बदलते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अवैध रूप से देश में घुसे किसी भी व्यक्ति को वापस भेजा जाना चाहिए, देखना यह होगा कि इस राजनीतिक विवाद पर असम की सियासत किस दिशा में आगे बढ़ती है।