Monday, December 29, 2025

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अरावली खनन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही पुराने फैसले पर लगाई रोक, केंद्र और राज्य सरकार से माँगा जवाब

नई दिल्ली। अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण और वहां जारी खनन गतिविधियों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण रुख अपनाया है। न्यायालय ने अरावली क्षेत्र में खनन की अनुमति देने वाले अपने पिछले आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पारिस्थितिकी (Ecology) और पर्यावरण की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इस पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने अरावली क्षेत्र के कुछ हिस्सों में खनन की अनुमति देने के संकेत दिए थे। हालांकि, पर्यावरणविदों और संबंधित पक्षों द्वारा इस पर गहरी चिंता जताई गई थी। ताजा सुनवाई में न्यायालय ने माना कि बिना किसी विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन और केंद्र सरकार की स्पष्ट राय के, खनन की अनुमति देना इस प्राचीन पर्वत श्रृंखला के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।

अदालत की सख्त टिप्पणी और निर्देश

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित प्रमुख निर्देश जारी किए:

  • पुराने आदेश पर स्थगन: न्यायालय ने खनन गतिविधियों को हरी झंडी देने वाले अपने पहले के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
  • सरकार से स्पष्टीकरण: अदालत ने केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों (विशेष रूप से राजस्थान और हरियाणा) से अरावली में खनन के प्रभाव पर विस्तृत और स्पष्ट जानकारी मांगी है।
  • पर्यावरण की प्राथमिकता: पीठ ने कहा कि पहाड़ियों को नष्ट करने से न केवल वन्यजीवों पर बुरा असर पड़ेगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर में मरुस्थलीकरण (Desertification) और धूल भरी आंधियों का खतरा भी बढ़ जाएगा।

अरावली का महत्व और चिंता के कारण

अरावली पहाड़ियाँ उत्तर भारत के लिए एक ‘ग्रीन लंग्स’ (Green Lungs) और थार रेगिस्तान के प्रसार को रोकने वाली प्राकृतिक दीवार की तरह कार्य करती हैं। पिछले कुछ दशकों में अवैध और अत्यधिक खनन के कारण इस पर्वत श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा गायब हो चुका है। विशेषज्ञों का तर्क है कि यदि खनन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में जल स्तर गिरने और तापमान बढ़ने जैसी विकराल समस्याएं उत्पन्न होंगी।

अगली सुनवाई पर टिकी नजरें

सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए सरकार को समय दिया है ताकि वह अपनी रिपोर्ट पेश कर सके। तब तक अरावली के संवेदनशील इलाकों में किसी भी तरह के नए खनन पट्टे (Mining Leases) जारी करने या मौजूदा गतिविधियों के विस्तार पर अनिश्चितता बनी हुई है। पर्यावरण प्रेमी इस फैसले को प्रकृति के संरक्षण की दिशा में एक बड़ी जीत मान रहे हैं।

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