दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, ईडी की हिरासत में हैं। उन्होंने अभी तक मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ा है। दिल्ली में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। हालांकि इन सबके बीच ऐसी चर्चा भी है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को उनके पद से हटाया जा सकता है। दिल्ली के उप राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री को डिसमिस कर सकते हैं। यहां पर भाजपा को बैकफायर का डर सता रहा है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में भाजपा, केजरीवाल को हटाने का जोखिम नहीं लेगी। वजह, इससे केजरीवाल को बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सकता है। अगर आम आदमी पार्टी, देशभर में केजरीवाल का मैसेज पहुंचाने में कामयाब रही, तो लोकसभा चुनाव में ‘आप’ को जनता की सहानुभूति मिल जाएगी। भाजपा, इस बात को समझ रही है, इसलिए वह अदालत से ही ऐसी उम्मीद लगाए बैठी है कि देर सवेर यह फैसला आ सकता है कि जेल से सरकार चलाना मुश्किल है। ऐसे में केजरीवाल पर मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का दबाव बनाया जा सकता है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि केजरीवाल को जेल में डालना, यह मुद्दा भाजपा पर भारी पड़ेगा। उसे लोकसभा चुनाव में इसकी कीमत चुकानी होगी। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि लोगों में इस बात पर गुस्सा है कि राजनीतिक कारणों से केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है। खुद केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने भी दावा किया है कि ईडी ने कथित शराब नीति मामले में कई जगहों पर छापेमारी की है। इन छापों में एक भी पैसे की बरामदगी नहीं हुई। ईडी ने आप नेताओं मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन के परिसरों पर छापा मारा। यहां पर भी कोई धनराशि नहीं मिली। मुख्यमंत्री के आवास पर छापा मारा गया, लेकिन यहां पर उन्हें 73,000 रुपये ही मिले। सुनीता केजरीवाल ने सवाल किया कि ‘सो कॉल्ड शराब घोटाले’ का पैसा कहां है।