वॉशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस के एक सांसद ने सिख समुदाय के सैनिकों के लिए सेना में दाढ़ी रखने की नीति पर पुनर्विचार की मांग करते हुए रक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। सांसद का कहना है कि यह नीति धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और विविधता के मूल सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।
पत्र में सांसद ने जोर देकर कहा कि सिख धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक विश्वास के अनुसार दाढ़ी रखते हैं, और यह उनकी धार्मिक पहचान का अहम हिस्सा है। उन्होंने युद्ध मंत्री से अनुरोध किया है कि सिख सैनिकों को धार्मिक कारणों से दाढ़ी रखने की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपनी आस्था और कर्तव्यों के बीच संतुलन बना सकें।
सैनिकों की दाढ़ी को लेकर अमेरिकी सेना की वर्तमान नीति सुरक्षा और युद्धक तत्परता पर आधारित है। लेकिन सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि तकनीकी और सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर सिख सैनिकों को दाढ़ी रखने की अनुमति दी जा सकती है, जिससे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और सेना की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सकें।
अमेरिकी सिख संगठन और मानवाधिकार समूह लंबे समय से इस मुद्दे पर सक्रिय हैं। उनका कहना है कि सेना में धार्मिक पहचान के आधार पर प्रतिबंध समानता और विविधता के मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने सांसद के पत्र को इस दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्ध मंत्री इस पर सकारात्मक निर्णय लेते हैं, तो यह नीति में बदलाव के साथ-साथ अमेरिकी सेना में धार्मिक विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देगा। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी सेना ने विभिन्न धर्मों और जातीय समूहों के लिए कई लचीली नीतियां अपनाई हैं, जैसे टोपी, सिर ढकने के लिए धार्मिक कवर की अनुमति।
सिख सैनिकों के लिए दाढ़ी नीति में बदलाव आने से सेना में धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान बढ़ेगा और इससे सिख समुदाय के युवाओं को भी सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।