अमेरिकी सांसदों ने आगामी वित्त वर्ष के लिए वार्षिक रक्षा नीति विधेयक का मसौदा सार्वजनिक कर दिया है। इस विस्तृत दस्तावेज में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। विधेयक के प्रमुख बिंदुओं में भारत के साथ रक्षा सहयोग को और अधिक व्यापक तथा संस्थागत रूप देने की स्पष्ट रूप से सिफारिश की गई है, खासकर क्वाड मंच के जरिये।
मसौदे में कहा गया है कि वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी को नई दिशा देने की आवश्यकता है। अमेरिकी सांसदों का मानना है कि क्वाड, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और खुली समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक प्रभावी संरचना साबित हो सकता है। इसलिए रक्षा नीति दस्तावेज में क्वाड के तहत संयुक्त अभ्यास, सामुद्रिक निगरानी, तकनीकी सहयोग और लॉजिस्टिक सपोर्ट को और मजबूत करने पर जोर दिया गया है।
विधेयक में यह भी उल्लेख है कि चीन की बढ़ती आक्रामकता और विस्तारवादी नीतियाँ क्षेत्र की रणनीतिक संवेदनशीलता को बढ़ा रही हैं। ऐसे में अमेरिका भारत को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सहयोगी के रूप में देखता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्र समुद्री आवाजाही की नीति को मजबूती देता है। इसी कारण सांसदों ने रक्षा उत्पादन, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत सैन्य तकनीकों के क्षेत्र में भी भारत-अमेरिका सहयोग को विस्तृत करने की अनुशंसा की है।
इसके अलावा दस्तावेज में यह सुझाव भी है कि दोनों देश आतंकवाद-रोधी अभियानों, सीमा सुरक्षा और इंटेलिजेंस साझा करने के क्षेत्रों में अपना समन्वय गहरा करें। सांसदों का मानना है कि इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं में भी वृद्धि होगी।
कुल मिलाकर, वार्षिक रक्षा नीति विधेयक यह संकेत देता है कि अमेरिका भारत को अपने दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और क्वाड को इस सहयोग की रीढ़ बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। आने वाले महीनों में इस विधेयक पर होने वाली चर्चाएँ इसके अंतिम रूप को तय करेंगी।





