दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक त्रासदी भोपाल शहर ने सन 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात में झेली थी। भोपाल गैस कांड एक ऐसा औद्योगिक हादसा था, जिसकी पीड़ा लाखों लोगों ने झेली। अब इस रासायनिक त्रासदी की 40वीं बरसी के अवसर पर तीन सांसदों ने तीन दिसंबर को राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस घोषित करने के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश किया है। सांसद जेफ मर्कले, रॉन वाइडन और पीटर वेल्च द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में भारत में 1984 के भोपाल रासायनिक हादसे में जिंदा बचे लोगों के 40 सालों की कोशिशों को तवज्जो दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया भर में कोई अन्य समुदाय को ऐसी आपदा का सामना न करना पड़े। इसके लिए तीन दिसंबर को राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है।दो-तीन दिसंबर 1984 की वो काली रात… जब मध्यप्रदेश के भोपाल में एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ। इस रात ने भोपाल के हजारों लोगों की जिंदगी में अंधकार भर दिया। यह दिन मानव इतिहास की सबसे दर्दनाक औद्योगिक त्रासदियों में से एक बन गया। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कारखाने से निकलने वाली जहरीली गैस ने पूरे शहर को मौत और तबाही की चपेट में ले लिया था। 72 घंटे के अंदर करीब आठ हजार लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। आज इस हादसे को 40 साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन भोपाल समेत पूरा देश आज भी इस काली रात को नहीं भूल पाया है।
भविष्य में रासायनिक आपदाओं के खिलाफ निवारक उपाय उठाने के लिए खराब स्वास्थ्य, गरीबी और हाशिए पर पड़े लोगों के संघर्ष की सराहना करते हुए, प्रस्ताव में न्याय विभाग से भारत सरकार द्वारा डॉव इंक., जिसने यूनियन कार्बाइड की वह सुविधा खरीदी थी, जहां यह आपदा घटित हुई थी, के संबंध में किए गए अनुरोधों पर समय रहते कदम उठाने का आह्वान किया गया है। प्रस्ताव में 17 अक्तूबर, 2001 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर की गई आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर संधि (TIAS 05-1003) के तहत दायित्वों का पालन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आवश्यक किसी भी अन्य कार्रवाई का भी आह्वान किया गया है।





