अमेरिका के एक संघीय न्यायाधीश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झटका दिया है। इसके तहत न्यायाधीश ने मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिसमें उन्होंने संघीय निधि (सरकारी पैसे) को रोकने की कोशिश की थी। देखा जाए तो ट्रंप प्रशासन यह तय करना चाहता था कि सरकारी धन का इस्तेमाल उनके कार्यकारी आदेशों के मुताबिक हो, जो प्रगतिशील नीतियों को खत्म करने के लिए थे।इस फैसले ने अमेरिकी सरकार, वैसे राज्यों और संगठनों को संघीय निधि मिलती है, उनमें खलबली सी मच गई। देखा जाए तो इस फैसले के बाद इस पर संवैधानिक विवाद भी शुरू हो गया, क्योंकि इस कदम से करदाताओं के पैसे के नियंत्रण पर सवाल उठने लगे। बता दें कि अमेरिकी जिला न्यायाधीश लॉरेन एल. अलीखान ने फंडिंग रोकने के आदेश को कुछ मिनटों पहले रोक दिया, जब कई गैर-लाभकारी संगठनों ने मुकदमा दायर किया था। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने यह कहा था कि यह कदम आवश्यक था, ताकि खर्च ट्रंप के आदेशों के अनुसार हो।
डेमोक्रेट्स ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को अवैध और मनमाना बताया। उनका कहना था कि राष्ट्रपति को बिना कांग्रेस की अनुमति के सरकारी पैसे को रोकने का अधिकार नहीं है। साथ ही इस फैसले के बाद, 22 राज्यों और कोलंबिया जिले के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल ने प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया और उस रोक को स्थायी रूप से खत्म करने की मांग की।
गौरतलब है कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इरादा था कि वे जीवाश्म ईंधन का उत्पादन बढ़ाएं, ट्रांसजेंडर लोगों के लिए सुरक्षा को हटाएं और विविधता, समानता और समावेश जैसे प्रयासों को खत्म करें। लेकिन, व्हाइट हाउस से मिली अस्पष्ट जानकारी और अनुत्तरित सवालों के कारण, कई विधायकों, सरकारी अधिकारियों और आम लोगों को यह समझने में परेशानी हो रही थी कि इस रोक का असर किन-किन कार्यक्रमों पर पड़ेगा। इस अस्थायी रोक के कारण सरकारी सेवाओं में देरी या कर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है।