वॉशिंगटन। अमेरिका में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। वहां पिग (सूअर) की किडनी को इंसानों में ट्रांसप्लांट करने का क्लिनिकल ट्रायल आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा में बैठे हजारों मरीजों के लिए नई आशा बन सकती है।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने इस क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दी है। ट्रायल की शुरुआत मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में की गई है, जहां चिकित्सकों ने गंभीर किडनी फेलियर से जूझ रहे मरीजों पर इस प्रक्रिया का परीक्षण प्रारंभ किया है।
चिकित्सकों के अनुसार, इस प्रक्रिया में विशेष रूप से जीन-संशोधित सूअरों की किडनी का उपयोग किया जा रहा है, ताकि इंसानी शरीर उसे अस्वीकार न करे। वैज्ञानिकों ने ऐसे सूअरों की जेनेटिक संरचना में बदलाव कर उन प्रोटीनों को हटा दिया है, जो सामान्यतः मानव प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं।
प्रोजेक्ट से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जेफरी कूपर ने कहा, “यह कदम चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। यदि ट्रायल सफल होता है, तो यह हजारों मरीजों को नया जीवन देने में मदद करेगा।” उन्होंने बताया कि अमेरिका में करीब एक लाख लोग किडनी ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं, जबकि हर दिन दर्जनों मरीज अंग न मिलने के कारण जान गंवा देते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयोगशालाओं ने जानवरों से मनुष्यों में अंग प्रत्यारोपण (ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन) पर शोध किया है, लेकिन यह पहला मौका है जब इसे आधिकारिक क्लिनिकल ट्रायल के रूप में मान्यता दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रायल के शुरुआती चरण में सीमित संख्या में मरीजों पर यह प्रक्रिया की जाएगी। सफलता मिलने पर इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की संभावना है।




