वॉशिंगटन। अमेरिका और ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच आर्थिक वर्चस्व की जंग तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क़रीबी और आर्थिक सलाहकार रहे पीटर नवारो ने ब्रिक्स देशों पर सीधा हमला बोला है। नवारो ने कहा कि ब्रिक्स अब केवल एक आर्थिक मंच नहीं रह गया, बल्कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है।
नवारो ने मीडिया से बातचीत में कहा, “ये देश हमारे संसाधनों और बाजारों से लाभ उठाते हैं, लेकिन बदले में हमें नुकसान पहुंचा रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो वे हमारा खून चूस रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि चीन और रूस इस गठजोड़ के जरिये अमेरिका-विरोधी धुरी को मजबूत कर रहे हैं और अन्य देशों को भी अपने साथ खींचने की कोशिश में हैं।
पूर्व सलाहकार ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ने समय रहते ठोस आर्थिक और रणनीतिक कदम नहीं उठाए तो ब्रिक्स देशों का दबदबा वैश्विक व्यापार पर भारी पड़ सकता है। नवारो ने कहा कि अमेरिकी उद्योग और नौकरियां पहले से ही सस्ते आयात और अनुचित व्यापार नीतियों की मार झेल रहे हैं, ऐसे में ब्रिक्स का बढ़ता प्रभाव और खतरनाक साबित होगा।
नवारो का यह बयान ऐसे समय आया है जब ब्रिक्स ने हाल के वर्षों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। समूह ने डॉलर पर निर्भरता घटाने और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियां विकसित करने पर जोर दिया है। इसके अलावा ऊर्जा, खनिज और कृषि क्षेत्र में साझा निवेश के जरिए ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग तेजी से बढ़ा है।
अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप खेमे की यह बयानबाज़ी 2024 के चुनावी समीकरणों से भी जुड़ी है। दरअसल, रिपब्लिकन पार्टी चीन और ब्रिक्स को अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बताकर घरेलू उद्योग और रोज़गार सुरक्षा का मुद्दा फिर से उभार रही है।
उधर, विशेषज्ञों का मानना है कि नवारो का यह बयान वैश्विक मंच पर अमेरिका और ब्रिक्स के बीच बढ़ती तनातनी को और गहरा सकता है। खासतौर पर तब, जब भारत और अन्य विकासशील देश भी इस मंच पर अपनी भूमिका मज़बूत करने में जुटे हैं।