वाशिंगटन/कैरकस: अमेरिका और वेनेजुएला के बीच जारी तनाव ने उस वक्त एक गंभीर मोड़ ले लिया जब बाइडन प्रशासन ने वेनेजुएला की मौजूदा सरकार को आधिकारिक तौर पर एक ‘आतंकवादी शासन’ (Terrorist Regime) घोषित कर दिया। इस कड़े फैसले के साथ ही अमेरिका ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले तेल क्षेत्र पर प्रहार करने के लिए बड़े पैमाने पर नौसैनिक नाकेबंदी (Naval Blockade) के आदेश जारी किए हैं।
प्रमुख घटनाक्रम और अमेरिकी कार्रवाई
- आतंकवादी देश की श्रेणी: अमेरिका ने आरोप लगाया है कि निकोलस मादुरो की सरकार अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी और क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने वाले समूहों को संरक्षण दे रही है।
- तेल टैंकरों पर प्रतिबंध: अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित नए कार्यकारी आदेश के तहत, वेनेजुएला से तेल ले जाने वाले किसी भी जहाज को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में रोका जा सकता है।
- आर्थिक घेराबंदी: इस कदम का उद्देश्य मादुरो सरकार की विदेशी मुद्रा के मुख्य स्रोत को पूरी तरह बंद करना है ताकि शासन पर राजनीतिक बदलाव के लिए दबाव बनाया जा सके।
वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव
- ऊर्जा बाजार में हलचल: वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले देशों में से एक है। इस नाकेबंदी के कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने की संभावना है।
- मानवीय संकट की चिंता: विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की सख्त आर्थिक घेराबंदी से वेनेजुएला में भोजन और दवाओं की कमी और अधिक गहरा सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: रूस और चीन जैसे देशों ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है, जबकि लैटिन अमेरिका के कुछ पड़ोसी देशों ने सुरक्षा चिंताओं के कारण इस फैसले का समर्थन किया है।
यह घोषणा वेनेजुएला और अमेरिका के बीच दशकों पुराने राजनयिक विवाद का सबसे आक्रामक चरण माना जा रहा है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि जब तक देश में लोकतांत्रिक सुधार नहीं होते, तब तक यह सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध जारी रहेंगे।





