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अमेरिका-दक्षिण कोरिया यात्रा से ठीक पहले उत्तर कोरिया ने किया क्रूज मिसाइल परीक्षण, बढ़ा क्षेत्रीय तनाव

सियोल। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दक्षिण कोरिया यात्रा से ठीक पहले उत्तर कोरिया ने अपने पश्चिमी तट के समीप समुद्र से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है। इस कदम से क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में एक बार फिर तनाव और अनिश्चितता बढ़ गई है।
घटना का विवरण
कोरियाई केंद्रीय समाचार एजेंसी (KCNA) के अनुसार, मंगलवार को उत्तर कोरिया ने रणनीतिक क्रूज मिसाइलों को पश्चिमोत्तर समुद्री क्षेत्र से लॉन्च किया। ये मिसाइलें लगभग दो घंटे दस मिनट तक एक पूर्व निर्धारित मार्ग पर उड़ती रहीं। यह परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब ट्रम्प ग्योंग्जु (Gyeongju) में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना हो रहे हैं।
KCNA ने इस कदम को “शत्रुओं को अपनी क्षमताओं से अवगत कराने” की कार्रवाई बताया है।
विश्लेषण और प्रतिक्रियाएँ
दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ ने दावा किया कि उन्होंने मिसाइल लॉन्च की तैयारी पहले ही पहचान ली थी। वर्तमान में उस मिसाइल प्रणाली और उसके मार्ग का विश्लेषण किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण उत्तर कोरिया की समुद्री लॉन्च क्षमता और रणनीतिक तकनीकी प्रगति का संकेत देता है।
ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि वे भविष्य में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से मुलाकात के लिए तैयार हैं, लेकिन इस परीक्षण ने ऐसी संभावनाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
इस मिसाइल परीक्षण से दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका के बीच सुरक्षा समन्वय और अधिक जटिल हो सकता है। यह कदम संकेत देता है कि उत्तर कोरिया अपनी परमाणु और रणनीतिक क्षमताओं को और व्यापक बनाने में जुटा है। वह इसे अपनी “युद्ध निवारक क्षमता” के रूप में प्रस्तुत कर रहा है।
अमेरिका-दक्षिण कोरिया की संयुक्त रक्षा प्रणाली को अब उच्च सतर्कता पर रखा गया है ताकि किसी भी संभावित खतरे पर त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
आगे की संभावनाएँ
ट्रम्प की यह यात्रा और दक्षिण कोरिया में होने वाली द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय वार्ताएँ (चीन सहित) क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थीं। लेकिन उत्तर कोरिया की यह कार्रवाई इन संवादों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस परीक्षण के बाद अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान अपनी निवारक रणनीतियों को और मजबूत करेंगे। इसके साथ ही हवाई, समुद्री और जमीनी सुरक्षा सतर्कताओं में वृद्धि की संभावना है।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा स्थिति अत्यंत संवेदनशील है, जहाँ किसी भी कदम का प्रभाव पूरे क्षेत्रीय संतुलन पर पड़ सकता है।

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