अमेरिका के पब्लिक स्कूलों के सामने गंभीर वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 6 अरब डॉलर की फेडरल शिक्षा फंडिंग को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस फंड से खास तौर पर गरीब, ग्रामीण और विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए चलाई जाने वाली योजनाएं चलती थीं। अब इस कदम के खिलाफ 20 से ज्यादा राज्यों ने न्यायिक लड़ाई शुरू कर दी है।
किसे मिलती थी ये फंडिंग?
यह फंडिंग राज्यों के सामान्य शिक्षा बजट से अलग होती है और मुख्यतः इन कार्यक्रमों को सहयोग देती थी:
• आफ्टर-स्कूल लर्निंग सेंटर
• इंग्लिश लर्नर सपोर्ट
• वयस्क साक्षरता
• शिक्षक प्रशिक्षण
• विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों की सहायता
क्या हुआ अब?
बजट कार्यालय ने 30 जून को एक सख्त मेमो जारी कर कहा कि जब तक फंड्स की समीक्षा पूरी नहीं होती, कोई राशि जारी नहीं होगी। नतीजा यह है कि:
• 5 अरब डॉलर से अधिक की राशि रोक दी गई है
• स्कूलों को बजट में कटौती करनी पड़ रही है
• पढ़ाई शुरू होने से पहले कार्यक्रमों के रद्द होने की नौबत आ गई है
राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया
• कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, न्यूयॉर्क और इलिनॉय जैसे डेमोक्रेट शासित राज्यों ने कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं
• कनेक्टिकट को अकेले अनुमानित 53.6 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है
• राज्यों ने इसे संविधान विरोधी और राजनीतिक प्रतिशोध बताया
शिक्षा पर पड़ने वाला प्रभाव
• शिक्षकों की भारी कमी
• विशेष शिक्षा सेवाओं में कटौती
• क्लासरूम में भीड़
• गुणवत्ता पर नकारात्मक असर
• ग्रामीण और विकलांग बच्चों पर सीधा प्रभाव
विशेषज्ञों और संगठनों की चेतावनी
• नागरिक अधिकार समूहों ने इसे शिक्षा व्यवस्था पर हमला करार दिया
• शिक्षक संघों ने इसे ‘सीधा चांटा’ बताया
• असमानता बढ़ने और समाज के कमजोर तबकों के पीछे छूटने की आशंका
क्या यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?
हालांकि आदेश पूरे देश पर लागू है, लेकिन जिन राज्यों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, वे अधिकतर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस वाले हैं। इससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि यह फैसला राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हो सकता है।
आगे क्या?
अब यह मामला अदालत और कांग्रेस के बीच फंसा हुआ है।
जब तक कोई हस्तक्षेप नहीं होता, स्कूलों की 5 अरब डॉलर से ज्यादा की फंडिंग अधर में लटकी रहेगी।