वॉशिंगटन / न्यूयॉर्क: अमेरिका के कई प्रमुख शहरों में सप्ताहांत के दौरान हजारों लोगों ने प्रदर्शन कर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सत्ता के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के आरोप लगाए। प्रदर्शनकारियों ने ‘सेव डेमोक्रेसी (Save Democracy)’ और ‘नो टू डिक्टेटरशिप (No to Dictatorship)’ जैसे नारों के साथ रैलियां निकालीं।
प्रदर्शन सबसे पहले वॉशिंगटन डी.सी. से शुरू हुआ, जहां व्हाइट हाउस के निकट लाफायेट स्क्वायर पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। इसके बाद न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजिलिस, सिएटल और फिलाडेल्फिया में भी लोगों ने मार्च निकाला। कई जगहों पर ट्रंप विरोधी पोस्टर और बैनर लगे थे, जिन पर लिखा था – “लोकतंत्र खतरे में है” और “अमेरिका किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं।”
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान सरकारी एजेंसियों और न्यायिक संस्थाओं पर दबाव बनाकर सत्ता का दुरुपयोग किया, और अब चुनावी अभियान के दौरान वह फिर से लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर आयोजित सभा में नागरिक अधिकार संगठन “फ्री अमेरिका नाउ” के प्रतिनिधि जॉन मिलर ने कहा, “ट्रंप ने सत्ता का इस्तेमाल देश के संविधान के खिलाफ किया। अब जब वे दोबारा राष्ट्रपति बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमें लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवाज उठानी होगी।”
प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर लोगों ने ट्रंप के हालिया बयानों को लेकर भी नाराजगी जताई, जिनमें उन्होंने कहा था कि “अगर सत्ता में लौटे तो वह सरकारी तंत्र में बड़े बदलाव करेंगे।” प्रदर्शनकारियों ने इसे “तानाशाही की चेतावनी” बताया।
वहीं, ट्रंप के समर्थकों ने इन प्रदर्शनों को “राजनीतिक एजेंडा” करार दिया। रिपब्लिकन पार्टी के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि “ट्रंप ने हमेशा कानून का सम्मान किया है और ये प्रदर्शन केवल उनकी लोकप्रियता से डर का परिणाम हैं।”
कुछ शहरों में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, जबकि लॉस एंजिलिस में कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और ट्रंप समर्थकों के बीच हल्की झड़पें भी हुईं, जिन्हें पुलिस ने तुरंत नियंत्रित कर लिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन विरोध प्रदर्शनों ने अमेरिकी राजनीति में लोकतंत्र बनाम सत्तावाद की बहस को फिर से जीवित कर दिया है। विश्लेषक रेबेका थॉमस के अनुसार, “यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि अमेरिका की लोकतांत्रिक आत्मा की परीक्षा है।”
अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, आगामी राष्ट्रपति चुनाव से पहले ऐसे प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकते हैं। कई नागरिक संगठनों ने अगले महीने “मार्च फॉर डेमोक्रेसी” नामक देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है।