दीपावली को वैश्विक स्तर पर एक बड़ी मान्यता मिलने की संभावना है। यूनेस्को आज इसे अमूर्त विश्व धरोहर का दर्जा देने का औपचारिक एलान कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो दीपावली उन चुनिंदा सांस्कृतिक परंपराओं में शामिल हो जाएगी, जिन्हें विश्व विरासत के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए विशेष श्रेणी में रखा जाता है। इस संभावित घोषणा ने भारत सहित दुनिया भर में उत्सव जैसा माहौल बना दिया है।
यूनेस्को की बैठक में प्रस्तुत प्रस्ताव में दीपावली को “प्रकाश, आध्यात्मिकता और सामूहिक आनंद का त्योहार” बताया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक एकता और परंपराओं की निरंतरता का संदेश निहित है। प्रस्ताव में यह भी रेखांकित किया गया है कि दीपावली सदियों से विभिन्न समुदायों को जोड़ने वाली एक साझा सांस्कृतिक विरासत रही है।
सूत्रों के अनुसार, अगर यूनेस्को आज यह घोषणा कर देता है, तो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में भी दीपावली से जुड़े कार्यक्रमों का दायरा और बढ़ेगा। विरासत का दर्जा मिलने के बाद विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों को दीपावली के अवसर पर विशेष रूप से रोशन किए जाने की योजना है। माना जा रहा है कि यह रोशनी नए दर्जे का प्रतीक होगी, जो त्योहार की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगी।
भारत सरकार ने भी यूनेस्को के प्रस्ताव का स्वागत किया है और कहा है कि यह भारतीय परंपरा और संस्कृति की व्यापकता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेगा। सांस्कृतिक मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस मान्यता से दीपावली से जुड़े पारंपरिक हस्तशिल्प, कलाओं तथा स्थानीय त्योहार–व्यवस्थाओं को भी संरक्षण और बढ़ावा मिलेगा।
विश्व भर में भारतीय समुदाय भी इस घोषणा की प्रतीक्षा कर रहा है। कई देशों में भारतीय संगठनों ने दीपावली के कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को विरासत दर्जे के अनुरूप और भव्य बनाने की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।





