Wednesday, December 3, 2025

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अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस को लेकर चीन और तालिबान ने ट्रंप को चेताया साथ ही कहा – अमेरिका की उपस्थिति अब स्वीकार्य नहीं

काबुल। अफगानिस्तान के प्रमुख सैन्य स्थल बगराम एयर बेस को लेकर चीन और तालिबान ने संयुक्त रूप से अमेरिका को कड़ा संदेश भेजा है। दोनों पक्षों ने स्पष्ट किया है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति अब स्वीकार्य नहीं है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।

चीन और तालिबान का साझा रुख
सूत्रों के अनुसार चीन ने तालिबान के साथ संयुक्त बयान जारी कर कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अमेरिकी फौजों की मौजूदगी खतरे की वजह बन रही है। उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेताया कि बगराम एयर बेस पर उनकी मौजूदगी को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

तालिबान ने भी इसी बयान का समर्थन किया और कहा कि अफगान भूमि पर विदेशी सैन्य ठिकानों की कोई जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान की सुरक्षा और शांति के लिए सभी विदेशी बलों को तुरंत हटना चाहिए।

बगराम एयर बेस का महत्व
बगराम एयर बेस अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अमेरिकी सैन्य ठिकाना रहा है। यह अमेरिका और नाटो के लिए क्षेत्रीय संचालन और खुफिया गतिविधियों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लेकिन तालिबान की ताकत बढ़ने और चीन के राजनीतिक दबाव के चलते अमेरिका पर इस बेस को खाली करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है।

अमेरिका की प्रतिक्रिया
अमेरिकी अधिकारियों ने फिलहाल कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन को इस चेतावनी को गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि अफगानिस्तान में स्थिरता और अमेरिकी हित सीधे जुड़े हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय असर
चीन और तालिबान की संयुक्त चेतावनी का अफगानिस्तान और पूरे दक्षिण एशिया पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इससे अफगानिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था, अमेरिकी सेना की रणनीति और क्षेत्रीय राजनीति पर सीधा असर देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की जल्दबाजी में हटने या संघर्ष जारी रखने की स्थिति, दोनों ही क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों के अनुसार चीन अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार कर चुका है और अमेरिका को पीछे हटाने का दबाव बढ़ा रहा है। वहीं तालिबान की चेतावनी यह संकेत देती है कि वे विदेशी हस्तक्षेप के बिना ही अफगानिस्तान में शासन स्थापित करना चाहते हैं।

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