चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता। उसने सोमवार को ताइवान के आसपास एक बार फिर सैन्य अभ्यास शुरू किया। उसके विमानों और जहाजों ने स्व-शासित द्वीप को घेर लिया है। ये अभ्यास चीन के चल रहे शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा हैं। साथ ही पिछले दो सालों में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियानों के चौथे दौर का प्रतीक है। मंत्रालय का कहना है कि ज्वाइंट स्वॉर्ड-2024बी नामक इस अभ्यास का मकदस ‘थिएटर कमान के सैनिकों की संयुक्त अभियान क्षमताओं का परीक्षण’ करना है। वहीं, चीनी सेना के पूर्वी थियेटर कमांड के प्रवक्ता कैप्टन ली शी ने बताया कि अभ्यास ताइवान द्वीप के उत्तर, दक्षिण और पूर्व के क्षेत्रों में हो रहा है। गौरतलब है, ताइवान के आसपास चीन की सैन्य उपस्थिति हाल के वर्षों में काफी बढ़ गई है। द्वीप के आसपास लगातार उड़ानें और नौसैनिक युद्धाभ्यास होते रहते हैं। आए दिन ताइवानी मंत्रालय इसकी जानकारी देता रहता है। बीजिंग ने ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल का प्रयोग करने से इनकार नहीं किया है। वह लगातार ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश में लगा हुआ है।
ताइवानी राष्ट्रपति अपना रहे कड़ा रुख
पिछले हफ्ते ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान, ताइवानी राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के भाषण के बाद अमेरिका और ताइवान दोनों ने चीन से किसी भी आक्रामक कार्रवाई को रोकने का आग्रह किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लाई ने ताइवान की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपने पूर्ववर्ती त्साई इंग-वेन की तुलना में अधिक कड़ा रुख अपनाया है, जिससे चीनी सरकार नाराज है, जो उन्हें अलगाववादी कहती है। लाइ ने ताइवान के किसी भी प्रयास के प्रतिरोध पर जोर देते हुए कहा था कि बीजिंग और ताइपे एक दूसरे के अधीनस्थ नहीं थे।
इसके जवाब में, बीजिंग ने अभ्यास को ताइवान स्वतंत्रता बलों के अलगाववादी कृत्यों के लिए कड़ी चेतावनी करार दिया। साथ ही पुष्टि की कि अभ्यास राज्य संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता की रक्षा के लिए एक वैध और आवश्यक अभियान है। हालांकि, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने चीन के साथ बातचीत की इच्छा जाहिर की। उन्होंने बीजिंग से मध्य पूर्व और यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में भूमिका निभाने का आग्रह किया।