नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) को सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व बताते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्र तब तक आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक वह नवाचार को प्राथमिकता नहीं देता। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा विनिर्माताओं से आग्रह किया कि वे नई तकनीकों के विकास में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते हुए शून्य से एक तक की यात्रा को अपना लक्ष्य बनाएं।
रक्षा मंत्री राजधानी में आयोजित ‘डिफेंस इंडस्ट्री आउटरीच’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण केवल आवश्यकता ही नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने का भी आधार है। “अनुसंधान और विकास वह इंजन है, जो रक्षा उत्पादन की पूरी व्यवस्था को आगे बढ़ाता है। यदि हम आयात-निर्भरता कम करना चाहते हैं, तो हमें डिजाइन-टू-डिलिवरी की पूरी प्रक्रिया में आत्मनिर्भर बनना होगा,” उन्होंने कहा।
राजनाथ सिंह ने बताया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए व्यापक सुधार किए हैं। रक्षा खरीद में स्थानीय कंपनियों को प्राथमिकता दी जा रही है, और आयात किए जाने वाले उपकरणों की सूची लगातार सीमित की जा रही है। “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने रक्षा उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है। पिछले वित्त वर्ष में रक्षा निर्यात 21,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है,” उन्होंने बताया।
उन्होंने कहा कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियां जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, उन्नत एयरोस्पेस सिस्टम और ड्रोन टेक्नोलॉजी आने वाले समय में युद्ध के स्वरूप को बदल देंगी। “यदि हम इन क्षेत्रों में निवेश नहीं बढ़ाएंगे, तो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने का खतरा बना रहेगा,” रक्षा मंत्री ने चेताया।
राजनाथ सिंह ने रक्षा उद्योग को भरोसा दिलाया कि सरकार सभी आवश्यक समर्थन प्रदान करती रहेगी। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के साथ सहभागिता बढ़ाकर उत्पादन के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे। साथ ही स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए विशेष अवसर सुनिश्चित किए जा रहे हैं ताकि नवाचार की ऊर्जा रक्षा क्षेत्र में निरंतर प्रवाहित होती रहे।
कार्यक्रम में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और विभिन्न रक्षा कंपनियों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर रक्षा विनिर्माण को गति देने की संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तृत विमर्श किया।





