नई दिल्ली: संसद के उच्च सदन राज्यसभा में नेशनल हाईवे-46 (NH-46) की बदहाली और अधूरे निर्माण के बावजूद टोल टैक्स वसूले जाने का मुद्दा गूंजा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद दिग्विजय सिंह ने इस विषय पर केंद्र सरकार को घेरते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से निर्माण कार्य में पारदर्शिता और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की पुरजोर अपील की।
सदन में हंगामे की वजह
दिग्विजय सिंह ने सदन में शून्यकाल के दौरान NH-46 (जो ग्वालियर से बैतुल को जोड़ता है) की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने तर्क दिया कि हाईवे के कई हिस्से अभी भी निर्माणाधीन हैं और सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हैं, लेकिन इसके बावजूद जनता से पूरा टोल टैक्स वसूला जा रहा है। उन्होंने इसे तकनीकी और नैतिक रूप से गलत बताते हुए विभाग की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाया।
दिग्विजय सिंह की प्रमुख मांगें
- टोल वसूली पर रोक: जब तक हाईवे का निर्माण कार्य शत-प्रतिशत पूरा नहीं हो जाता और गुणवत्ता मानक सुनिश्चित नहीं होते, तब तक टोल वसूली तत्काल प्रभाव से बंद की जाए।
- दोषियों पर कार्रवाई: घटिया निर्माण और प्रोजेक्ट में देरी के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों और निगरानी करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और उन पर जुर्माना लगाया जाए।
- गडकरी से हस्तक्षेप की अपील: सिंह ने नितिन गडकरी के कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें खुद इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए ताकि आम जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग रोका जा सके।
बुनियादी ढांचे और जनता का आर्थिक बोझ
चर्चा के दौरान यह बात प्रमुखता से उठी कि देश भर में हाईवे का जाल तो बिछ रहा है, लेकिन अधूरा निर्माण यात्रियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। सदन में विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी इस सुर में सुर मिलाया कि सुविधा के अभाव में शुल्क वसूलना प्रशासनिक जवाबदेही का उल्लंघन है।
सरकार का संभावित रुख
हालांकि नितिन गडकरी ने अक्सर तकनीकी खामियों पर सख्त रुख अपनाया है, लेकिन इस विशेष मामले में राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद मंत्रालय द्वारा विस्तृत रिपोर्ट मांगे जाने की उम्मीद है। मंत्रालय को अब यह स्पष्ट करना होगा कि अधूरे पैच पर टोल शुरू करने की अनुमति किन परिस्थितियों में दी गई और इसमें किसकी जवाबदेही बनती है।
“सड़क पर गड्ढे हों और सफर में समय दोगुना लगे, फिर भी टोल देना पड़े—यह अन्याय है। सरकार को निर्माण और वसूली के बीच संतुलन और अपनी जवाबदेही तय करनी होगी।” — दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सांसद





