रुद्रपुर में हाईकोर्ट के आदेश पर भगवानपुर कोलड़िया में चले अतिक्रमण अभियान पर सियासत शुरू हो गई है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अतिक्रमण को लेकर सरकार के दो चेहरे हैं। एक चेहरा देहरादून से अतिक्रमण हटाने के आदेश देता है और दूसरी ओर क्षेत्रीय विधायक और मंत्री अभियान का विरोध कर श्रेय लेने की कोशिश में रहते हैं। वहीं किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने कहा कि प्रदेश में सिर्फ बिल्डर्स और कॉलोनाइजर की चलती है, गरीबों की सुनवाई नहीं है। बृहस्पतिवार को चले अभियान की खुद भाजपा विधायक शिव अरोरा ने मुखालफत की थी। विधायक ने न सिर्फ अभियान को रुकवा दिया, बल्कि पुलिस हिरासत से तीन युवकों को भी छुड़वाया था। अफसरों की ओर से ग्रामीणों को घर खाली करने के लिए समय देने की बात को अनसुना करने पर विधायक तमतमा गए। इसी को लेकर अब सियासत तेज हो गई है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि अफसरों ने विधायक की बात को नजरअंदाज क्यों किया? जब अतिक्रमण हटाना जरूरी ही था तो विधायक के बुलडोजर रोकने पर अफसरों ने विरोध क्यों नहीं जताया? जब विधायक ने अभियान रोका तो फिर अफसर एक दिन का समय देने के लिए आखिर राजी क्यों हो गए? विधायक ने पुलिस के कब्जे से तीन युवकों को छुड़ा लिया तो एक्शन में दिख रही पुलिस के तेवर ढीले क्यों पड़ गए ? इन तमाम सवालों के बीच विपक्ष अफसर शाही पर मुखर है।