Wednesday, October 29, 2025

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अगले साल की शुरुआत में हो सकती है Quadrilateral Security Dialogue (क्वॉड) की बैठक, नरेंद्र मोदी होंगे मेज़बान — ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जताई उम्मीद

कुआलालम्पुर (मलेशिया): ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानेज़ ने कहा है कि अगले साल की शुरुआत — यानी 2026 की पहली तिमाही में — क्वॉड समूह की नेताओं की बैठक सम्भव है, और इसमें भारत की मेज़बानी नरेंद्र मोदी द्वारा की जा सकती है। यह घोषणा उन्होंने Association of Southeast Asian Nations (आसन) सम्मेलन के दौरान मीडिया से की।

अल्बानेज़ ने कहा कि यह चार-देशीय गठबंधन — जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान व अमेरिका शामिल हैं — “महत्वपूर्ण फोरम” है। उन्होंने कहा:

“मैं आशावादी हूँ कि अगले साल की पहली तिमाही में बैठक हो सकती है… प्रधानमंत्री मोदी इसके मेज़बान होंगे।”

बैठक के पीछे की पृष्ठभूमि

  • मूल रूप से इस साल भारत में क्वॉड नेताओं की बैठक होनी तय थी, लेकिन विभिन्न कारणों से वह संभव नहीं हो पाई।
  • बैठक में भारत-अमेरिका संबंधों में हाल की चुनौतियाँ, जापान-अमेरिका-भारत-ऑस्ट्रेलिया रणनीतिक तालमेल तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा एवं आर्थिक हित शामिल होंगे।
  • ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इस बैठक को एक ऐसा मंच बताया जहाँ चारों देश मिलकर “मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत” (Free & Open Indo-Pacific) की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। संकेत और चुनौतियाँ
  • बैठक का मेज़बान भारत है, जिसका अर्थ है कि भारत इस रणनीतिक मंच में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
  • हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यस्त कार्यक्रम और अन्य रणनीतिक प्राथमिकताओं के चलते इस बैठक का समय पहले की अपेक्षा आगे खिसका है। अल्बानेज़ ने अमेरिका के “व्यस्त समय” की ओर संकेत करते हुए कहा कि 2025 में यह संभव नहीं दिख रहा।
  • विश्लेषकों का कहना है कि इससे यह संदेश जाता है कि क्वॉड अपनी समय-सीमा और अहमियत दोनों को लेकर सतर्क है — स्थिर रूप से काम करना चाहता है लेकिन रणनीतिक चुनौतियों से भी जूझ रहा है।

महत्व

  • इस बैठक का आयोजन भारत में होगा तो यह भारत की रणनीतिक विदेश नीति को एक और पायदान ऊपर ले जाएगा — विशेष रूप से जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिवेश तेजी से बदल रहा है।
  • बैठक में सुरक्षा, तकनीकी सहयोग, उच्च-प्रौद्योगिकता, शवायु एवं नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विषय शामिल हो सकते हैं — जो चारों देशों के लिए लाभदायक हैं।
  • इसके साथ ही यह भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया के बीच बहुपक्षीय रणनीति को और मजबूत करेगा, जिससे हिंद-प्रशांत में उनके साझेदारी के आयाम बढ़ेंगे।

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