Sunday, June 29, 2025

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सुप्रीम कोर्ट ने दस्तावेज़ों के निपटारे और रखरखाव के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने देश की शीर्ष अदालत के प्रशासनिक दस्तावेज़ों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और दक्ष बनाने के उद्देश्य से रिकॉर्ड के प्रतिधारण और नष्ट करने के लिए दिशा-निर्देश 2025′ जारी किए हैं। गुरुवार को जारी इन दिशा-निर्देशों का मकसद सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न रजिस्ट्री शाखाओं में दस्तावेज़ों के निपटारे और संरक्षण को संस्थागत मानकों के अनुरूप बनाना है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने एक संदेश में बताया कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न शाखाओं में प्रशासनिक रिकॉर्ड की संख्या में काफी वृद्धि देखी है। उन्होंने कहा कि जहां न्यायिक अभिलेखों के प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट रूल्स, 2013 के आदेश LVI के तहत स्पष्ट प्रावधान हैं, वहीं प्रशासनिक दस्तावेज़ों के संदर्भ में अब तक मानकीकरण की कमी रही है। इसके कारण असंगत प्रक्रियाएं पनपती हैं जो कार्यकुशलता और अभिलेखीय स्पष्टता को प्रभावित करती हैं।

प्रमुख दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

  • स्थायी संरक्षण:
    भारत के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित मूल सबमिशन नोट्स एवं पेपर बुक, साथ ही नीति फ़ाइलें, कार्यालय आदेश एवं परिपत्र फ़ाइलों को स्थायी रूप से संरक्षित किया जाएगा।
  • रिकॉर्ड संरक्षण की अवधि:
    दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने की अवधि मुकदमे, मध्यस्थता, जांच या लेखा परीक्षा की अंतिम कार्रवाई के बाद से मानी जाएगी। किसी भी दस्तावेज़ के नष्ट करने से पहले संबंधित शाखाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि उस दस्तावेज़ से संबंधित कोई भी अदालती मामला लंबित न हो।
  • परस्पर जुड़े रिकॉर्ड:
    यदि किसी शाखा का रिकॉर्ड दूसरी शाखा (विशेषकर गोपनीय शाखा) से जुड़ा हो, तो अदालत में मामला लंबित होते ही संबंधित शाखा को इसकी सूचना दी जाएगी।
  • अनुमोदन अनिवार्य:
    रिकॉर्ड के संरक्षण या नष्ट करने का निर्णय संबंधित रजिस्ट्रार की स्वीकृति के बाद ही लिया जाएगा।
  • रिकॉर्ड नष्ट करने का समय:
    दस्तावेज़ों को नष्ट करने का कार्य गर्मी की छुट्टियों या सीमित अदालती कार्यकाल के दौरान किया जाएगा। यदि दस्तावेज़ की स्कैन की गई प्रति को संरक्षित करना हो, तो इसका निर्णय रिकॉर्ड नष्ट करते समय लिया जाएगा।
  • वित्तीय दस्तावेजों का वर्गीकरण:
    वित्तीय एवं बजट से संबंधित फाइलों को 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के वित्तीय वर्ष के आधार पर रखा जाएगा, जबकि अन्य प्रशासनिक रिकॉर्ड कैलेंडर वर्ष यानी 1 जनवरी से 31 दिसंबर के अनुसार वर्गीकृत होंगे।

इस पहल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने अपने आंतरिक कार्यप्रणाली को पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम देते हुए न्याय प्रणाली के डिजिटल और संरचित भविष्य की नींव मजबूत की है।

 

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