सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए चार दशक से अधिक समय बाद बेटियों को उनके पिता की संपत्ति पर अधिकार दिलाया है। शीर्ष अदालत ने संपत्ति विवाद के इस मामले में एक व्यक्ति के दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को खारिज करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
कहा कि यह बेटियों को उनके पिता की संपत्ति पाने के अधिकार से वंचित करने की एक सोची-समझी चाल है। लंबी कानूनी लड़ाई को समाप्त करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 1983 में दाखिल दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को स्वीकार नहीं करने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
कहा कि इसमें अनिवार्य शर्तों का पालन नहीं किया गया, जैसे कि बच्चा गोद लेने वाले व्यक्ति को अपनी पत्नी की सहमति लेनी होगी। शिव कुमारी देवी और हरमुनिया उत्तर प्रदेश के निवासी भुनेश्वर सिंह की बेटियां हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। याचिकाकर्ता अशोक कुमार ने भुनेश्वर सिंह की संपत्तियों का उत्तराधिकार प्राप्त करने के लिए दत्तक पुत्र संबंधित दस्तावेज पेश किया। उन्होंने दावा किया कि भुनेश्वर सिंह ने उन्हें उनके जैविक पिता सूबेदार सिंह से एक समारोह में गोद लिया था। अदालत के समक्ष इस दावे से संबंधित एक तस्वीर भी पेश की गई थी। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के 11 दिसंबर, 2024 के आदेश के खिलाफ अशोक कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।