देहरादून।
राज्य में हाल ही में रद्द की गई भर्ती परीक्षा के बाद मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार की पहली प्राथमिकता पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ भर्ती प्रक्रियाएं संपन्न कराना है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री के इस रुख का स्वागत करते हुए राज्य बेरोजगार संघ ने सरकार का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं का विश्वास बनाए रखना सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। “भर्ती प्रक्रिया में किसी भी तरह की धांधली या अनुचित लाभ की संभावना सामने आएगी, तो हम बिना किसी हिचक के कार्रवाई करेंगे, चाहे वह परीक्षा रद्द करनी पड़े या जांच के आदेश देने हों,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले ही सभी भर्ती एजेंसियों को कठोर निगरानी तंत्र अपनाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं के चयन में भी पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी परिस्थितियां दोबारा उत्पन्न न हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। “हम चाहते हैं कि हर पात्र उम्मीदवार को उसके परिश्रम के अनुरूप अवसर मिले। यही हमारी सरकार की नीति और प्रतिबद्धता है,” उन्होंने जोड़ा।
उधर, परीक्षा रद्द होने के फैसले के बाद उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार का आभार जताते हुए कहा कि यह निर्णय युवाओं के हित में लिया गया है। संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रणाली से ही राज्य में युवाओं का भरोसा दोबारा मजबूत होगा।
संघ ने यह भी आग्रह किया कि सरकार जल्द से जल्द नई परीक्षा की तिथि घोषित करे, ताकि अभ्यर्थियों की तैयारी और समय का नुकसान न हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में राज्य सरकार भर्ती प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुरक्षित बनाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि सरकार अब भर्ती परीक्षाओं को लेकर और अधिक सख्त रवैया अपनाने के मूड में है। मुख्यमंत्री के ताजा बयान ने यह संकेत दे दिया है कि उत्तराखंड में अब किसी भी भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार या सिफारिश का कोई स्थान नहीं रहेगा, और युवाओं को उनके योग्यता के आधार पर ही अवसर मिलेगा।





