सिंगापुर के पूर्व पीएम सीन लूंग ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के चलते वैश्विक अनिश्चितता पैदा हुई है और यह बहुत लंबे समय तक रहेगी। अब सहायक और स्थिर बाह्य वातावरण मिलना संभव नहीं रह गया है। राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एनटीयूसी) वार्ता में उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं उत्साहित मत होइए, इस मुद्दे को तूल मत दीजिए, हमने पहले भी बड़े तूफानों का सामना किया है, हम असफल नहीं हुए हैं। हमें इसे अपने स्तर पर लेना चाहिए, लेकिन हमें चिंतित होने और यह समझने की जरूरत है कि क्या हो रहा है और इसका हमारे लिए क्या मतलब है, क्योंकि इस बार कुछ महत्वपूर्ण बात अलग है।
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सिंगापुरवासी समझेंगे कि क्या हो रहा है, क्या दांव पर लगा है और हमें अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए मिलकर क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवेश के मुक्त प्रवाह ने बहुराष्ट्रीय निगमों को व्यापार करने के लिए स्थानों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। हम कुशल थे, हम अच्छा कर रहे थे। हम मुसीबत से बाहर आ गए। हमने फिर से काम शुरू किया। हम फिर से विकास कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चीन अमेरिका व्यापार युद्ध को लेकर उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में अमेरिका अपने साझेदारों के साथ आमने-सामने की लड़ाई लड़ेगा। इससे अमेरिका की सौदेबाजी की शक्ति का दोहन किया जाएगा, क्योंकि वह विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक-चौथाई तथा विश्व में कुल वस्तु व्यापार का सातवां हिस्सा रखने वाला देश है। अमेरिका खुद के लिए अच्छा करना चाहता है और उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे देश अपने लिए अच्छा करते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि नए टैरिफ बहुत लंबे समय तक चलने वाला है। यह जल्द ही खत्म होने वाला नहीं है, क्योंकि एक बार जब आप टैरिफ लगा देते हैं, एक बार जब आप अपने बाजार की रक्षा करते हैं, तो इसे हटाना बहुत मुश्किल होता है।
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के अनुदान और अनुबंधों पर रोक लगा दी है। विवि ने कहा कि वह परिसर में ट्रंप प्रशासन की मांगों का अनुपालन नहीं करेगा। ट्रंप प्रशासन ने विवि को पत्र लिखकर व्यापक सरकारी और नेतृत्व सुधारों का आह्वान किया। इसके तहत हार्वर्ड को योग्यता-आधारित प्रवेश और नियुक्ति नीतियां स्थापित करनी होंगी। साथ ही विविधता के बारे में उनके विचारों पर अध्ययन निकाय, संकाय और नेतृत्व का ऑडिट भी करना होगा।
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने कहा कि ये मांगें विवि के प्रथम संशोधन अधिकारों का उल्लंघन करती हैं और सरकार के अधिकार की वैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करती हैं, जो छात्रों के खिलाफ उनकी जाति, रंग या राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार हो, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, यह निर्देश नहीं देना चाहिए कि निजी विवि क्या पढ़ा सकते हैं, किसे प्रवेश दे सकते हैं और किसे नियुक्त कर सकते हैं तथा अध्ययन और जांच के किन क्षेत्रों को आगे बढ़ा सकते हैं। हार्वर्ड में शिक्षण और सीखने को नियंत्रित करने और हमारे काम करने के तरीके को निर्देशित करने के लिए कानून से अलग सत्ता के दावे से ये लक्ष्य हासिल नहीं होंगे।