सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की सांविधानिक पीठ ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर आज निर्णय दे सकता है। इस प्रश्न के माध्यम से, संसद या विधानसभा में विशेष भाषण देने या वोट करने के बदले में अगर सांसद या विधायक रिश्वत लेते हैं, तो क्या उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है, यह निर्णय लिया जाएगा।
1998 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के मामले को ध्यान में रखते हुए, सात जजों की संविधानिक पीठ ने इस महत्वपूर्ण निर्णय की प्रक्रिया शुरू की है। प्रमुख विवाद के बारे में सुनवाई के बाद, पीठ निर्णय करेगी कि क्या इस मामले में अभियोजन का मुद्दा उठाया जाना चाहिए या नहीं।
इससे पहले, पांच सदस्यों की पीठ ने केस से जुड़े मसलों को व्यापक जनहित से जोड़ते हुए इसे सात सदस्यों की पीठ को सौंप दिया था। उस समय कहा गया था कि यह मामला राजनीतिक सदाचार से जुड़ा है। अनुच्छेद 105(2) और 194(2) में संसद और विधानसभा के सदस्यों को छूट का प्रावधान इसलिए दिया गया है, ताकि वे बिना किसी डर के अपने दायित्व निभा सकें।
सीता सोरेन के मामले के दौरान यह मामला फिर से उठाया गया, जब उन्होंने अपने खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई को अनुच्छेद 194(2) के तहत रद करने की याचिका दायर की। उन्हें आरोप लगा था कि उन्होंने 2012 में झारखंड में राज्यसभा चुनाव के समय एक विशेष प्रत्याशी के समर्थन में वोट करने के लिए रिश्वत ली थी।