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सरदार पटेल पर सियासत तेज, खरगे के बयान पर भाजपा का पलटवार — नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ी

नई दिल्ली। देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। उनके वक्तव्य पर भाजपा ने तीखा पलटवार करते हुए कांग्रेस पर सरदार पटेल की विचारधारा को ‘अपने राजनीतिक हितों के अनुरूप तोड़-मरोड़कर पेश करने’ का आरोप लगाया।

खरगे ने अपने संबोधन में कहा था कि सरदार पटेल ने हमेशा लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को सर्वोपरि माना, और आज कुछ राजनीतिक दल उनके नाम का इस्तेमाल करते हुए उन्हीं मूल्यों को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पटेल कांग्रेस की विचारधारा के मजबूत स्तंभ थे, और उनके योगदान को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “सरदार पटेल का नाम कांग्रेस सिर्फ अवसरवादी तरीके से लेती है। अगर पार्टी वास्तव में उनके आदर्शों पर चलती, तो आज देश विभाजन की राजनीति नहीं झेल रहा होता।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की स्मृति को साकार रूप देने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण कराया, जबकि कांग्रेस दशकों तक उनके योगदान को भुलाती रही।

वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस हमेशा इतिहास को अपने हिसाब से गढ़ती रही है। उन्होंने कहा, “सरदार पटेल ने देश की एकता के लिए जो त्याग किया, कांग्रेस ने उसी विरासत को अपने राजनीतिक स्वार्थों में दबा दिया।”

कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरदार पटेल का कांग्रेस से जुड़ाव और उनका योगदान इतिहास का हिस्सा है, उसे कोई नकार नहीं सकता। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “भाजपा आज सरदार पटेल का नाम लेकर उनकी विचारधारा को विकृत कर रही है। पटेल एकता और धर्मनिरपेक्ष भारत के पक्षधर थे, जबकि भाजपा समाज को बांटने का काम कर रही है।”

विश्लेषकों का मानना है कि सरदार पटेल पर इस तरह की सियासत हर वर्ष उनकी जयंती के अवसर पर देखने को मिलती है। एक तरफ भाजपा उन्हें ‘राष्ट्रीय एकता’ का प्रतीक बताती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस उन्हें अपनी विचारधारा का अभिन्न हिस्सा मानती है।

इस तरह, लौहपुरुष की विरासत पर राजनीतिक दलों के बीच यह जुबानी जंग एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि देश के महान नेताओं की विचारधारा को सम्मान मिलेगा या राजनीति का मंच बनेगी।

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