उत्तराखंड में आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली को पूरी तरह बदलने जा रही है। राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई एआई नीति का उद्देश्य सरकारी कामकाज को अधिक चुस्त, दुरुस्त और पारदर्शी बनाना है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में एआई की भूमिका पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली और व्यवस्थित होने वाली है। सरकारी तंत्र में खामियों, भ्रष्टाचार और देरी को रोकने में एआई एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध होगा।
एआई तकनीक के माध्यम से सरकारी खर्च, बिल और योजनाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी का तत्काल पता लगाया जा सकेगा। इससे जहां अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा, वहीं पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी। शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली में एआई अनेक स्तरों पर बदलाव लाएगा। ‘अपुणि सरकार’ पोर्टल और सीएम हेल्पलाइन पर आवेदन ट्रैकिंग, शिकायतों का वर्गीकरण और वर्चुअल सहायता प्रणाली एआई की मदद से और सुचारू हो जाएगी। खास बात यह है कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषाओं में आवाज आधारित सरकारी सेवाओं की सुविधा मिलने से दूरदराज़ के स्थानीय लोगों के लिए सेवाएं और अधिक सरल हो जाएंगी।
सुरक्षा व्यवस्था में भी एआई अहम भूमिका निभाएगा। एआई आधारित कैमरे भीड़ की निगरानी, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान और सुरक्षा जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होंगे। इससे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की दक्षता बढ़ेगी। भूमि प्रबंधन में भी एआई का उपयोग व्यापक रूप से किया जाएगा। जमीनों के पुराने रिकॉर्ड डिजिटाइज करने के साथ ही एआई अवैध कब्जों, भू-उपयोग में अनियमित परिवर्तन और विवादित गतिविधियों का पता लगाने में मदद करेगा।
सरकार सोशल मीडिया पर गलत जानकारी और अफवाह फैलाने वालों पर भी एआई आधारित निगरानी बढ़ाएगी। इसके माध्यम से फर्जी खबरों, भ्रामक पोस्टों और संवेदनशील मुद्दों पर प्रसारित गलत सूचना के स्रोतों की पहचान करना आसान होगा। ई-टेंडरिंग प्रणाली में भी एआई की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, जिससे खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी, अनियमितताएं तथा देरी जैसी समस्याओं पर नियंत्रण मिलेगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में एआई क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है। एआई एक्स-रे, ईसीजी और ब्लड रिपोर्ट का विश्लेषण करके डायबिटीज, दिल की बीमारियां और एनीमिया जैसे रोगों का समय रहते पता लगा सकेगा। गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों की पहचान कर उन्हें समय पर घर-घर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना संभव होगा।
अस्पतालों में भीड़भाड़ की स्थिति में एआई पहले से यह संकेत देगा कि कितने बेड, ऑक्सीजन सिलिंडर या दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी और प्रबंधन अधिक प्रभावी होगा। एआई चैटबॉट के जरिए दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों को प्राथमिक चिकित्सा सलाह आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। डेंगू और अन्य मौसमी बीमारियों के हॉटस्पॉट का पूर्वानुमान लगाकर एआई समय रहते राहत और रोकथाम में भी मदद करेगा। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में जारी फर्जी बिलों और अनियमितताओं को पहचानकर कार्रवाई आसान बनेगी।
शिक्षा के क्षेत्र में भी एआई व्यापक बदलाव लाने वाला है। अध्ययन सामग्री तैयार करने से लेकर छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने तक, एआई कई स्तरों पर सहायता करेगा। इससे व्यक्तिगत शिक्षण, कमजोर बिंदुओं की पहचान और छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करना संभव होगा।
कुल मिलाकर, उत्तराखंड की एआई नीति राज्य की सरकारी मशीनरी और सार्वजनिक सेवाओं को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।





