नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए वित्त मंत्रालय की ओर से एक बार फिर निराशाजनक खबर आई है। जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) यानी सामान्य भविष्य निधि पर ब्याज दर में इस तिमाही भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 की तिमाही के लिए जीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 प्रतिशत ही बनी रहेगी।
इस तरह, सरकारी कर्मचारियों के लिए जीपीएफ की ब्याज दर लगातार छह वर्षों से अपरिवर्तित बनी हुई है। केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 के बाद से इस दर में कोई बदलाव नहीं किया है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग (Department of Economic Affairs) की अधिसूचना के अनुसार, 7.1% की दर 1 अक्टूबर 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेगी। यह दर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अलावा रेलवे, रक्षा और अन्य केंद्रीय सेवाओं के कर्मियों के लिए भी समान रूप से लागू होगी।
लगातार गिरावट के बाद स्थिरता, पर कर्मचारियों में निराशा
2018-19 में जीपीएफ पर ब्याज दर 8 प्रतिशत से अधिक थी। इसके बाद धीरे-धीरे इसमें गिरावट आई और अप्रैल 2020 में इसे घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया गया था। तब से अब तक इस पर कोई संशोधन नहीं हुआ है।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि मुद्रास्फीति और बढ़ती महंगाई के दौर में ब्याज दर स्थिर रहने से बचत पर रिटर्न कम हो गया है।
कर्मचारी महासंघों ने सरकार से मांग की है कि वह जीपीएफ ब्याज दर को बाजार की दरों के अनुरूप संशोधित करे, ताकि कर्मचारियों को भी उनके अंशदान पर उचित लाभ मिल सके।
क्या है जीपीएफ
जीपीएफ यानी जनरल प्रोविडेंट फंड सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य बचत योजना है, जिसमें हर महीने वेतन से एक निश्चित राशि जमा की जाती है। सेवानिवृत्ति या सेवा समाप्ति पर यह राशि ब्याज सहित कर्मचारी को दी जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जबकि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) जैसी स्कीमों पर भी ब्याज दरें लंबे समय से स्थिर हैं, लेकिन जीपीएफ पर दरों में बदलाव न होने से सरकारी कर्मियों को अपेक्षाकृत कम लाभ मिल रहा है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कई केंद्रीय संगठनों ने इसे “स्थिर ब्याज दर का अन्याय” बताते हुए कहा कि सरकार को कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर जीपीएफ दरों की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब बाजार में कई अन्य निवेश योजनाएं 7.5 से 8 प्रतिशत तक रिटर्न दे रही हैं, तब जीपीएफ पर वर्षों तक 7.1 प्रतिशत ब्याज दर बनाए रखना अनुचित है।
निष्कर्ष
सरकार के इस निर्णय से स्पष्ट है कि फिलहाल ब्याज दरों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। ऐसे में लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स को इस तिमाही में भी अपने जीपीएफ निवेश पर वही 7.1 प्रतिशत ब्याज से संतोष करना होगा।
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