अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिससे व्हाइट हाउस को स्वतंत्र संघीय एजेंसियों पर अधिक नियंत्रण मिल सकेगा। इनमें सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी), फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) और फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) जैसी एजेंसियां शामिल हैं। यह आदेश वित्तीय प्रणाली, उपभोक्ता संरक्षण और संचार के क्षेत्र में सरकारी निगरानी को भी प्रभावित करेगा। इससे राष्ट्रपति को यह तय करने की ताकत मिलेगी कि इन एजेंसियों की प्राथमिकताएं क्या हों और वे किन क्षेत्रों में काम करें। बता दें कि, ट्रंप प्रशासन का मानना है कि स्वतंत्र एजेंसियां राष्ट्रपति की नीतियों को कमजोर कर सकती हैं। इसलिए, यह आदेश यह सुनिश्चित करेगा कि ये एजेंसियां राष्ट्रपति के एजेंडे के अनुसार काम करें। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने आदेश में लिखा, ‘अमेरिकी जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि इन एजेंसियों को राष्ट्रपति के नियंत्रण में लाया जाए।’ट्रंप प्रशासन के इस नए आदेश का कई विशेषज्ञों और संगठनों ने विरोध किया है। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी एंड टेक्नोलॉजी की सीईओ अलेक्जेंड्रा रीव गिवेंस ने इसे खतरनाक कदम बताया। उन्होंने कहा, ‘यह आदेश स्वतंत्र एजेंसियों को राजनीति के अधीन कर देगा और उनके काम को प्रभावित करेगा।’ वहीं जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोजर नोबर ने इसे बहुत बड़ा बदलाव बताया। उन्होंने कहा कि यह आदेश ‘स्वतंत्र नियामक एजेंसियों की स्वायत्तता को सीमित कर सकता है।’
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह नया आदेश फेडरल रिजर्व को भी प्रभावित करेगा, जो अमेरिका की मौद्रिक नीतियों को तय करता है। हालांकि, फेडरल रिजर्व अभी भी ब्याज दरें निर्धारित करने में स्वतंत्र रहेगा। वहीं फेडरल रिजर्व के प्रवक्ता ने इस आदेश पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं इस आदेश को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू होने की संभावना है। कैपिटल अल्फा के नीति विशेषज्ञ इयान कैट्ज के अनुसार, ‘ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि इस आदेश को अदालत में चुनौती दी जाएगी। इससे कार्यकारी आदेश की शक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक ऐतिहासिक फैसला आ सकता है।’ इस आदेश के तहत व्हाइट हाउस का बजट कार्यालय (ओएमबी) इन एजेंसियों के कामकाज की निगरानी करेगा और उनके बजट को राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं के अनुसार समायोजित कर सकता है।